जब जब तेरी छाया,
इस धरती पर पड़ी,
तब तब मेरे सर पर,
आँचल की छाँव पड़ी.
तुम गीत पुराना मत गाओ,
मेरे अँसुअन को मत बहकाओ,
गीत के पुराने गायक की याद
आती है,
आँखें चाह कर भी उन्हें देख
नहीं पाती हैं.
वो भी कितने प्यारे दिन थे,
जब वह यह गीत सुनाती थी.
आँखों से गंगा की धारा,
झरझर बहती जाती थी.
नहीं संग है आज वो मेरे,
यादें मुझे रुलाती हैं,
बंद नयन में बाहें उनकी,
झूला मुझे झुलाती हैं
पास नहीं है आज वो मेरे,
संग हमेशा है,
मेरे पर इक इक शब्द कथन में,
उनका संदेशा है.
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खनन खनन कर हम धरती की,
कोख कर रहे खाली,
धन अर्जन की होड़ में जैसे
,
हम वन गए मवाली.
हद गर इसकी पार कर गए,
धरती भी डोलेगी,
उथल पुथल को नियमित करने,
धरती भी डोलेगी,
भूकंपन का नाम सुना है,
धरती रोष दिखाती है,
तेरा ऐसा रूप न देखा ,
केवल सहती जाती है.
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