मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

राजनीति

 राजनीति

मेरे मोहल्ले की,
काली लंबी,
अल्हड़ लहराती छोरी को,
स्नो पाउडर नहीं मिलता,
न तेल मिलता है, न काजल,
न उसने हार पहना है न पायल,
ना जाने रोजाना कितने मार्शलों द्वारा,
रौंदी जाती है,

कभी कभी एकाध बस भी आ जाती है,
ट्रक, कभी कभार ही आते हैं,
पर जब भी आते हैं ,
स-भार ही आते हैं.

लेकिन अचानक आज....
ट्रकों के कतार लग गए हैं,
हाँ स-भार आए,
शायद साभार आए,

रेती, बजरी आई,
गिट्टी, मिट्टी आई,
डामर, तारकोल आया,
रोड-रोलर आया,
आए कई मजदूर,
कुछ इंजिनीयर,
कुछ ओवरसीयर,
शायद कुछ मेट भी आए हों.

मैने एक से पूछा...
भई बात क्या है?
यह सब क्यों आ रहा है?
और ये सब क्यों आ रहे हैं?

भाई साहब बोले......
भैया..........
अभी तो सामान व साहिबान ही आए हैं.
काम तो शुरु होने दो,
पीछे पीछे पार्टी के कार्यकर्ता भी आएंगे,

और जब काम पूरा होगा ,
तब शायद मंत्री जी भी आएँगे,
चुनाव की खबर भी लेकर आएँगे,
और ध्यान दीजिएगा ,
बाद में चुनाव भी आएंगे,

यही राजनीति है,
जब मंत्रीजी आएँगे,
आप सब को खुश पाएंगे,
तभी तो मंत्री जी आपके.
और आप मंत्री जी के,
गुण गा पाएंगे,
और गाएँगे,
तब ही तो,
हाँ तब ही तो ,
आपके वोट,
फिर मंत्रीजी को डाले जाएँगे,
और मंत्रीजी चुनाव जीत पाएंगे,

तब फिर एक अरसे तक,
आपके सहूलियतों को,
चबाएंगे- खाएंगे,
ताकि फिर चुनाव आने पर,
आपकी सेवा में हाजिर हो पाएंगे.
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एम.आर.अयंगर