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मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS
शनिवार, 12 फ़रवरी 2011
Modhera sun temple snaps.
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 8 books in Hindi and one in English.
Can manage with Kannada, Tamil, assamese, Marathi .
Published Eight books in Hindi containing Poetry, Short stories, Currect topics, Essays, analysis etc. All are available on www.Amazon.in/books with names Rangraj Iyengar & रंगराज अयंगर
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Modhera sun temple snaps.
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ModheraSun Temple1
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 8 books in Hindi and one in English.
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शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011
सो जा बिटिया रानी...
सो जा बिटिया रानी
सो जा बिटिया रानी,
आँखों में तेरे बसने को,
तड़पे निंदिया रानी,
सो जा बिटिया रानी .
खोल द्वार उस परी नगर का,
इंतजार करती है तेरा,
उन परियों की नानी,
सो जा बिटिया रानी.
सुंदरतम उस स्वप्न जगत में,
तुझे सुनाएगी हँस-हँसकर,
उन परियों की कहानी,
सो जा बिटिया रानी.
संग रहेंगे चंदामामा,
तारे संग तेरे खेलेंगे,
करना तू मनमानी,
सो जा बिटिया रानी.
जागोगी जब देर रात त,
सारी परियाँ उड़ जाएंगी,
मत कर तू नादानी,
सो जा बिटिया रानी.
सो जा बिटिया रानी,
आँखों में तेरे बसने को,
तड़पे निंदिया रानी,
सो जा बिटिया रानी .
खोल द्वार उस परी नगर का,
इंतजार करती है तेरा,
उन परियों की नानी,
सो जा बिटिया रानी.
सुंदरतम उस स्वप्न जगत में,
तुझे सुनाएगी हँस-हँसकर,
उन परियों की कहानी,
सो जा बिटिया रानी.
संग रहेंगे चंदामामा,
तारे संग तेरे खेलेंगे,
करना तू मनमानी,
सो जा बिटिया रानी.
जागोगी जब देर रात त,
सारी परियाँ उड़ जाएंगी,
मत कर तू नादानी,
सो जा बिटिया रानी.
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बुधवार, 9 फ़रवरी 2011
ज्ञान का पुनर्दान एवं काश !!! .
ज्ञान का पुनर्दान
श्रीमान, ज्ञान के धनवान,
दयावान , यजमान,
इस धरा को दो ,
ज्ञान का पुनर्दान.
विश्व में ,
मानव की अमानुषिकता से व्यथित,
ज्ञान लुप्त हो गया है,
कौन करता है आह्वान?
प्राण अपरिचित हो गए हैं,
प्रतिबिंबित होती है केवल शान.
पानी में हवा का बुलबुला,
अपनी क्षणिकता जीवन को दे गया है,
अब विश्व ही क्षणिक लगता है,
हिमालय का पिघलना,
धरती का कटना,
वर्षांत में घड़ियों को आगे बढ़ाना,
पृथ्वी के गति के ये ही तो अल्प विराम हैं.
जाने कब पूर्ण विराम लग जाए?
वसुधैव कुटुंबकं के इस युग में,
कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ,
इक्कीसवीं सदी को परिलक्षित कर,
बारहवीं सदी की ओर बढ़ते हुए,
विज्ञान को वरदान का रूप दे रही हैं?
युद्ध की ये शक्तियाँ !!!
श्रीमान, ज्ञान के धनवान,
दयावान, यजमान,
इस धरा को दो ज्ञान का पुनर्दान !!!!!
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
काश !!!
काश, हम छोड़ सकते,
उसे वैसा ही,
जैसा कि वह है,
बनिस्पत यह कि.....
कुछ जान लें....
कुछ जान दें....
और लाल गंगा बहे.
नहीं !!!
गंगा जी का पवित्र नाम जोड़कर,
मैं उनका अपमान नहीं कर सकता,
माँ गंगा मुझे क्षमा करना.
मैनें परदादों को नहीं देखा,
न ही उनकी जीवनियाँ पढीं हैं,
लेकिन दादा – दादी से सुना है,
वे बताया करते थे कि परदादा..
जीवन भर सर्वप्रिय रहे,
किसी का बुरा करना तो क्या ..
कभी सोचा तक नहीं,
कटु वचन उनके सोच से भी परे थे.
और आज वर्ण संकाय करीब मिट चुका है,
मानवता जाग चुकी है,
लेकिन हम भेदभाव मिटाने की बजाए,
बैर कर रहे हैं –
एक चूने की चिनाई के लिए?
कि शायद हमारे परदादे कभी लड़े थे !
किसलिए ? कब ? क्यों ? और कहाँ ?
इसकी किसी को खबर नहीं,
जरा सोचो विचारो...कि कितना जायज है
जो प्राण गए उससे किसी को क्या मिला?
उनके परिवारों को जीवन भर की चोट !
मिलेंगे यदि तो कुछ कोटों को कुछ वोट,
(शायद दिल में हो खोट और जेब में हों नोट)
इन सब से कितना अच्छा होता ?
यदि काश !!!
हम छोड़ सकते उसे वैसा ही,
जैसा कि वह है,
बनिस्पत यह कि ...
कुछ जान लें..
कुछ जान दें...
और लाल गंगा बहे .
:::::::::::::::::::::::::
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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011
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Sunset at Dona Paola Goa.
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रविवार, 6 फ़रवरी 2011
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