http://www.hindikunj.com/2016/03/sponsored-journalism.html
पड़ेगी.
खबर चली कि बच्चन ने एक भी रुपया नहीं लिया
रामजी भी अब न जान पाएँ.
अच्छा है होली के समय ये खुशी के रंग ठहाके लगाने
प्रायोजित पत्रकारिता
पिछले
एक डेढ साल से समाचार पत्रों की, खासतौर पर हमारे पत्रकारिता की तासीर बदल सी गई
है. चाहे आप टी वी पर गौर करें या समाचार पत्रों पर या किन्हीं पत्र पत्रिकाओं
पर... सब में नयापन है. फिर क्यों न हो, नई सरकार जो आई है जिसके कामकाज का तरीका
पिछली सरकार से एकदम भिन्न जो है. नई सरकार, नए तौर तरीके, नई सोच, नई खबरें ऐसे ही नई
पत्रकारिता.
वैसे मई 2014 से ही यह फर्क महसूस होने लगा था, लेकिन
नई सरकार के साथ यह नयापन भाता रहा. सरकार पुरानी होती गई किंतु पत्रकारिता का
रवैया वैसे ही बना रहा. इससे ऊब सी होने लगी. अस्थायी बदलाव अब धीरे-धीरे स्थायी
होने लगा. उकसाने वाली भाषा में भड़काऊ प्रक्रिया भी शामिल होने लगी. समय बीतते -
बीतते पता चला कि यह सोची समझी अंध भक्तों के जमात की चाल है, जो सरकार के प्रति
पक्षपाती है. अब धीरे-धीरे अखबार पढ़ना दूभर हो चला था. ऐसा ही हाल टीवी चेनलों के
साथ हो रहा था. हर तरफ से खबरें छँटकर आ रही थी, जिनमें सरकार की बड़ाई और काँग्रेस
को बदनाम करने की साजिश के अलावा कुछ नहीं होता था. इससे समाचार पत्र व अखबारों
में रुचि घटने लगी. लेकिन भला एक पढ़ा लिखा व्यक्ति कितने दिन इनसे दूर रह सकता
था. इसलिए मन मारकर फिर से इनकी शरण में
गया. लेकिन इस बार एक नई सोच के साथ कि समाचारों का मात्र जायजा लिया जाए
..उन पर किसी तरह का विश्वास न किया जाए.
अब खबर पढ़कर बहुत आनंद आने लगा. सरकार के
खिलाफ
सभी पर सरे आम अपशब्द लिखे जाने लगे.
कांग्रेस की खुले आम बदनामी की जाने लगी.
खबरे
सच हों यह जरूरी नही था, पर उसमें इन विषयों का
समावेश जरूरी सा था. हिंदू
धर्म को अकारण और
अचानक भारत का राष्ट्रीय धर्म सा घोषित किया
जाने लगा. गोमाँस
खाने वाले पाकिस्तान जाएं जैसे
वाकए पुराने हो चले. अब नए मुद्दे उछले... भारत में
अगर रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा. देश
भक्ति साबित करने के लिए भारत माता की
जय
कहना होगा. जिसके प्रति चाहे मनगढ़ंत वीडियो
बाजार में लाया जा रहा है, फिर
विरोधी पार्टी कहती
है यह फर्जी है सच तो इस वीडियो में है. इस
चक्कर में सर्वोच्च
न्यायालय को भी लपेट लिया
गया है. सरकारी संपर्क के संस्थानों को जबरन जगह
दिलाने
के लिए नए नए ढ़ोंग हो रहे हैं. इन सबमें
सचाई कितनी है किसी को भी नहीं पता.
इसलिए
आजकल अखबार व टीवी चेनल टाईम पास का
जरिया मात्र रह गए हैं. विश्वसनीयता तो
मिट्टी में
मिल गई है.
एक झूठ को इतनी बार दोहराया जा रहा है कि लोग
उसे
सच मानने को मजबूर हो जाएँ. लोगों की
आस्था पर प्रहार हो रहा है. यहाँ तक कि एक
मठाधीश ने साई बाबा के पूजन पर प्रतिबंध घोषित
कर दिया. पता नहीं उन्हें यह अधिकार कहाँ से
मिला. मंदिरों में तोड़फोड़
भी हुई. हद है अंधभक्ति की.
सरकार के हर कदम पर व्याख्या के लिए काँग्रेस
जरूरी हो गई है. काँग्रेस की असफलताओं का इतना
सहारा लिया जा रहा है कि यदि किसी काम में
सहारा लिया जा रहा है कि यदि किसी काम में
काँग्रेस असफल न हुई हो तो भाजपा सरकार उस
काम को करने की कोशिश भी नहीं
कर सकती. नए
मुक्त - नए उत्कृष्ट विचारों के लिए प्रस्तुत सरकार के
पास कोई राह या जगह नहीं है. सब्जी में नमक की
पास कोई राह या जगह नहीं है. सब्जी में नमक की
तरह काँग्रेस इस सरकार में समाँ गई है.
पिछली सरकार द्वारा हर किसी बिगड़े काम में पडोसी
देश का षडयंत्र बताया जाता रहा है. अब काँग्रेस की
आड़ ली जाती है. आश्चर्य नहीं कि
किसी नेता का
पेट खराब होने की वजह भी काँग्रेस को बताया जाए.
इस तरह प्रस्तुत
सरकार अपनी खिल्ली खुद उड़ाने
में लगी है.
इन्हीं सब कारणों से आज के अखबार चुटकीले और
मसालेदार हो चले हैं इनको सीरियसली पढ़ना बेकार
है. ये अब मात्र मनोरंजन के लिए ही
हेतुक रह गए
हैं. समाचारों की सत्यता पर तो न जाने कितने
प्रश्नचिह्न लग गए हैं. कौन
सा समाचार कितना सच –
यह जानने के लिए सी बी आई इंक्वायरी बिठानी
पड़ेगी.
अभी दो दिन पूर्व खबर आई कि बच्चन ने कोलकता
में
राष्ट्रीय गान के लिए 4 करोड़ लिए.. सारे सोशल
मीड़िया में यह आग की तरह फैल गई...
फिर दूसरी
खबर आई कि बच्चन ने कुछ लिया नहीं है बल्कि
30 लाख खुद के खर्चे हैं. फिर
गाँगुली की तरफ से
खबर चली कि बच्चन ने एक भी रुपया नहीं लिया
है... यह है समाचार
पत्र व टी वी की दुनिया का
प्रस्तुत हाल. किस पर कितना भरोसा करें यह तो
रामजी भी अब न जान पाएँ.
उधर अनुपम जी नया कामेड़ी शो लेकर आए जा रहे
हैं. शायद राज्य सभा की सीट पक्की करनी है.
हैं. शायद राज्य सभा की सीट पक्की करनी है.
अदनान का काम हो गया वे अब चुप हैं.
अच्छा है होली के समय ये खुशी के रंग ठहाके लगाने
में सहयक हो रहे हैं.. कभी कभी तो लगता है कि
क्या यह आज की पत्रकारिता सरकार की
प्रायोजित
है...
है...
होली मुबारक हो आप सबको भी...
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