वायु एक द्रव है.
भारती अपनी कक्षा में पहले तीन मेधावी छात्राओं में गिनी जाती थी. कभी वह चौथे
स्तर पर रही, ऐसा याद नही है. उनके घर बोल कर यानी आवाज करते हुए पढ़ने की हिदायत
थी, ताकि घर में बड़ों को सुनाई पड़े कि क्या पढ़ा जा रहा है. इसके दो - चार कारण
थे. एक, कि बच्चा स्कूल की ही किताब पढ़ रहा है. दूसरा, परीक्षा का विषय ही पढ़
रहा है. तीसरा और शायद सबसे अहम कारण कि बच्चा जो पढ़ रहा है, वह ठीक ही है.
एक दिन की बात है भारती पढ़ रही थी ...वायु एक द्रव है ... वायु एक द्रव है.
उसके बड़े भैया दीपेन ने, जो उससे तीन-एक साल बड़े थे, सुन लिया. अब क्या था, वे
तेज कदमों से भारती के पास आए. पूछा - यह तू क्या पढ़ रही है. जवाब था यह मेरे समझ
में नहीं आ रहा है और कल टेस्ट है. इसलिए याद कर रही हूँ.
ठीक है याद कर रही हो, पर यह क्या पढ़ रही है ? ये तो गलत है. कौन सी किताब में
ऐसा लिखा है. भारती बोल पड़ी - किसी किताब से नहीं, मैं अपने नोट्स से पढ़ रही
हूँ. भैया ने कहा – तुम शायद क्लास से गलत नोट्स लिख कर लाई हो. यह गलत है. बस
भारती का चेहरा लाल. तमातमाकर उसने भैया को जवाब दिया – तुम लोगों को कुछ आता-जाता
तो है नहीं, बस बार - बार मुझे टोकते रहते हो. मेरी मिस ( टीचर ) ने ऐसा ही लिखाया
है. भाई ने फिर सुधारने की कोशिश की - शायद तुमने बोर्ड से सही नोट नहीं किया है.
पर कोई मानने को तैयार हो तब ना.
भारती फफक - फफक कर रो पड़ी. घर के भीतर पिताजी के पास चली गई और कर दी भाई की
शिकायत. यह बार - बार मुझे टोकता है. मेरी मिस ने लिखाया है कि वायु एक द्रव है और
ये कहता है कि गलत है. यह क्या मेरी मिस से ज्यादा जानता है ? हालात हद से पार हो गए. हो सकता है उसे सँभालने के लिए ही शायद पिताजी ने कह
दिया - ठीक है, तुम पढ़ो मैं भैया को समझा देता हूँ.
इधर भारती के जाने के बाद पिताजी भैया की ओर मुखरित हुए. तुम तो जानते हो. आज
के बच्चे घर वालों से भी ज्यादा, टीचर से डरते हैं. उनकी नजर में टीचर से ज्यादा
कोई नहीं जानता. उन्हें केवल यही पता है कि टीचर का कहा ना माना तो... परीक्षा में
उन्हें नंबर नहीं मिलेंगे और बच्चे परीक्षा में फेल हो जाएंगे. इसी लिए उनके लिए
टीचर से बड़ा कोई नहीं, भाई - बहन तो क्या माँ – बाप भी नहीं.
पिताजी की बातों से दीपेन को तो बहुत बुरा लगा. लेकिन वे पिताजी से कुछ कह भी
तो नहीं सकते थे, उनके निर्णय के उल्टे. सो चुपचाप मन मसोसते हुए लौट गए. शाम जब
भारती अपनी सहेलियों के साथ खेलने बाहर चली गई, तब पिताजी ने दीपेन को बुलाया और
कहा बैठो. भैया बैठ गए सोचने लगे, आज भारती के कारण फिर डाँट पड़ने वाली है.
पिताजी ने कहना शुरु किया कि - देखो दीपेन, भारती की जो उम्र है, उसमें वह नहीं
सारे बच्चे टीचर को ही सबसे सही मानते है, उसका कोई दोष नहीं है, यह उम्र व समय का
तकाजा है. मैं जानता था और जानता हूँ कि तुम ठीक कह रहे थे कि - वायु द्रव नहीं है
और शायद यह भी कि टीचर ने गलत नहीं पढ़ाया होगा, इसी ने गलत नोट कर लिया होगा, पर
उसे समझाने का कोई लाभ नहीं. बेहतर होगा कि कल तुम उसके स्कूल जाकर हेड मास्टर से
बात करो और उनके सामने भारती के साईंस के टीचर से बात करो. अच्छा होगा – जो भी सही
हो – उसे उनकी टीचर क्लास में फिर से बताए कि वायु क्या है ? द्रव ? जो भी हो यदि टीचर सही करती है तो सारे बच्चे मान
जाएंगे. हो सकता है टीचर ने ही गलत कह
दिया हो (असंभव नहीं है), उसका भी
हल निकल आएगा. यदि भारती ने ही गलत नोट किया है, तो वह भी उसे पता लग जाएगा. शायद
इसी से भारती को लगे कि भाई और माता - पिता भी टीचर के समान ही पढ़े लिखे है और
उनकी बात को इस तरह नकारना या उनकी अवहेलना करना गलत है.
दूसरे दिन दीपेन भारती के स्कूल गया. वह भी उसी स्कूल से मिडल क्लास पास किया
था. उसे टीचर जानते थे. उसने हेड मास्टर से सारी बात बताई और टीचर से बात करने की
इच्छा जताई. टीचर को बुलवाया गया. वह दीपेन की क्लासमेट ही थी. दोनों ने हेड –
मास्टर के सामने बात की और समस्या सुलझाया. तब टीचर ने कहा - अभी लंच के बाद मेरा
उसी क्लास में पीरियड है. मैं फिर से सबको समझा दूँगी.
चैन की साँस लेकर दीपेन घर आ गया. शाम को पिताजी के आते ही उन्हें भी सूचना दे
दी. पिताजी के आते तक भारती स्कूल से आकर सहेलियों के साथ खेलने चली गई थी. वापस
आकर जब वह पढ़ने बैठ ही रही थी, शायद उसे याद आया और वह पिताजी की तरफ लपकी. उसने
पिताजी को बताया कि कल दिन में भैया जो कह रहे थे, वह सही निकला. आज टीचर ने फिर
आकर बताया कि वायु एक द्रव्य है – द्रव नहीं. मैने पूछा कि आपने तो उस दिन द्रव
लिखाया था. टीचर बोली मुझे याद तो नहीं है, पर गलती तो सभी से हो सकती है, मुझसे
भी हो गई होगी. सारे बच्चे अपनी - अपनी कापी में ठीक कर लो. मैं भैया से जबरन लड़ी
जा रही थी कि उसे मेरे टीचर से ज्यादा आता है क्या ? सच में पापा, भैया को टीचर से भी ज्यादा आता है.
पिताजी ने भारती को समझाया कि तुम्हारा भैया हमेशा क्लास में फर्स्ट ही आता
रहा है और तुम्हारी वो टीचर क्या नाम बताया – सुनीता, भी भैया के क्लास में ही
पढ़ती थी. तुमने भैया का दिल दुखाया है ना... जाओ जाकर भैया से माफी माँगो...
भारती दौड़ते हुए भैया के पास गई और उनसे लिपटकर माफी माँगने लगी.
भैया दीपेन ने भी भारती को गले लगा लिया... दोनो की
आखें भर आईँ थी.
अयंगर
08462021340