तुम फिर आ गए !!!
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बापू, तुम फिर आ गए !!!
पिछली बार कितना समझाया था,
पर तुम माने नहीं.
कितनी गलतफहमियाँ
पाले हुए हो, कि लोग अब भी
यहाँ तुम्हारा अभिनंदन करेंगे.
और लोग यहाँ,
जमाने से नोटों पर लगी
तुम्हारी फोटो हटाने में लगे हैं
जगह तो बदल ही दी है.
चरखे संग फोटो खिंचवाकर
तुम्हारे चरखे वाली फोटो को
भुलावे में डालने की
नाकाम कोशिश भी हो ही चुकी है.
और तो और
सरकारी शह पर,
गोड़से का मंदिर तो
बन ही गया है.
तुम्हारे मौत का
(उसे ये बलिदान नहीं कहते)
पुनरावलोकन करना चाहते हैं,
शायद यह जताने की कोशिश है
कि तुम्हें गोलियाँ
गोड़से ने नहीं,
किसी और ने मारी थी.
खूनी गोड़से नहीं,
कोई और है.
गोड़से को निर्दोष साबित करने का
एक प्रयास है.
खुद गोड़से ने
कचहरी में बताया था कि :
"Why I killed Gandhi".
फिर भी ये लगे हैं
उसे निर्दोष साबित करने,
दोषी नहीं जानता कि
वह निर्दोष है,
यह लोग जानते हैं.
बापू, कभी गलती से भी
सामाजिक पटल पर
तुम्हारी नजर पडे़ तो
बहुत जिल्लत होगी.
लोग पूछते हैं - गाँधी ने
इस देश के लिए क्या किया?
नेहरू ने ऐय्याशी के सिवा
क्या किया?
इतिहास न कोई जानता है,
न ही कोई जानना चाहता है
पर जिसके मुँह जो आए
बकता फिरता है
सामाजिक पटल पर कोई
रोक टोक तो है ही नहीं.
शर्म आती है
उनकी भाषा पढ पढकर
आज के नेता तो
राम और कृष्ण से भी
बड़े आँके जाते हैं
भले उनका ईमान
गर्त में पड़ा हो.
इसीलिए फिर फिर कहता हूँ,
बापू अब मत आना.
अपनी ही तौहीन कराओगे
कहीं किसी नए नेता से टकरा गए
तो चुल्लू भर पानी को भी
तरस जाओगे.
बाकी तुम्हारी मर्जी.
......