मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

जिंदगी का सफर





   जिंदगी का सफर

आलीशान तो नहीं , 
पर था शानदार,
वो छोटा  सा मकान,
उसमें खिड़कियाँ भी थे,
दरवाजे भी थे और 
रोशनदान भी,
पर कभी बंद नहीं होते थे.

चौबीस घंटे उनमें से जिंदगी गुजरती रहती थी.
किसी भी शाम देख लो जिंदगी का बेलेंस,
सुबह से ज्यादा ही रहता था.
रोज होता था इजाफा,
आती ज्यादा थी और जाती कम,
खर्च करते करते थक जाते थे 
पर कम होती ही नहीं थी.

वक्त बदलता गया, 
आदतें बदलती गईं,
जिंदगी ने नए करवट लिए,
कभी - कभी अंधड़ तूफानों में , 
धारदार बारिशों में दरवाजे बंद होने लगे,
शायद जिंदगी को भी कई बार 
बंद दरवाजों से लौटना पड़ा हो.
फिर भी हर शाम आती जाती 
जिंदगी बराबर ही रहती थी.
जिंदगी का खाता न बढ़ता न घटता.

जिंदगी चलती रही उसी मकान में,
हर दिन का बेलेंस बराबर ही रहता,
समय के साथ - साथ जीवन करवटें बदलती रही,
मौसम भी बदला, जीवन में अंधड़ तूफान बढ़े,
दरवाजों के साथ - साथ अब खिड़कियाँ भी बंद होने लगे,
शायद अब जिंदगी को ज्यादा बार 
बंद दरवाजों से लौटना पड़ रहा होगा,

अब जिंदगी के खाते में आवक कम 
और जावक बढ़ने लगी,
बेलेंस घट रहा है, 
आए दिन के अँधड़ तूफान से दरवाजे बंद होते
पर खोले भी नहीं जाते, 
क्योंकि इतने में दूसरा अंधड़ आ धमकता है., 
दरवाजे बंद ही रह जाते हैं.
रोशनदान तो अब हमेशा के लिए बंद ही हो गए,
अब जिंदगी आती भी होगी 
तो सदा ही लौट जाती होगी,
बंद दरवाजों को देखकर, 
घर में जिंदगी का आना अब बंद हो गया है

स्वाभाविक ही है, 
समय के साथ जिंदगी का हर पहलू बदलता है,
जो बढ़ेगा, वह घटेगा ही, 
शिखर पर चढ़ने वाला नीचे तो उतरेगा ना !
जिदगी का यह घटता बेलेंस कभी तो धरती पर आएगा,
कभी तो जीरो होगा, 
बस उसी का इंतजार है,
इसी मकान में जिंदगी को बेरोकटोक आते हुए भी देखा है, 
और जाते देखा है, 
अब बंद दरवाजों से लौटते हुए भी देखा जा रहा है.

कभी तो थमेगी
पर थमते हुए देखना संभव नहीं है
पर कभी तो थमेगी, 
जो हम न सही लोग तो देखेंगे

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

प्यार

प्यार


कोई बातें करके 

किसी के लहजे को चाहता है। 

तो कोई किसी की मुस्कान पर

फिदा हो जाता है।

किसी को किसी की आँखें 

पसंद आती हैं,

तो किसी को लटें।

कोई किसी की चाल पर 

बिक जाता है 

तो कोई तन के ढाल पर 

टिक जाता है।

कोई किसी की लिखावट पर 

झूम जाता है 

तो कोई किसी की लेखनी को

चूम जाता है

कोई किसी को 

हाजिर जवाबी के लिए 

पसंद करता है 

तो कोई किसी का स्वभाव 

पसंद करता है।


किसी को किसी का 

मौन होना भाता है

तो किसी को किसी का 

गौण होना भाता है।

किसी को गालों का

डिंपल भाता है 

तो किसी को स्वभाव का सिंपल भाता है। 

किसी को पतली 

उंगलियां भाती हैं 

तो किसी को नाक की नथनिया भाती है।

कहना मुश्किल है कि 

ये नादान दिल 

कहाँ अटक जाए

किसकी खातिर 

कहाँ भटक जाए।


इस जमाने में 

प्यार हो जाने के 

न जाने कितने रास्ते हैं 

क्योंकि भगवान ने 

इंसान बनाए ही 

प्यार करने के वास्ते है।

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