प्यार
कोई बातें करके
किसी के लहजे को चाहता है।
तो कोई किसी की मुस्कान पर
फिदा हो जाता है।
किसी को किसी की आँखें
पसंद आती हैं,
तो किसी को लटें।
कोई किसी की चाल पर
बिक जाता है
तो कोई तन के ढाल पर
टिक जाता है।
कोई किसी की लिखावट पर
झूम जाता है
तो कोई किसी की लेखनी को
चूम जाता है
कोई किसी को
हाजिर जवाबी के लिए
पसंद करता है
तो कोई किसी का स्वभाव
पसंद करता है।
किसी को किसी का
मौन होना भाता है
तो किसी को किसी का
गौण होना भाता है।
किसी को गालों का
डिंपल भाता है
तो किसी को स्वभाव का सिंपल भाता है।
किसी को पतली
उंगलियां भाती हैं
तो किसी को नाक की नथनिया भाती है।
कहना मुश्किल है कि
ये नादान दिल
कहाँ अटक जाए
किसकी खातिर
कहाँ भटक जाए।
इस जमाने में
प्यार हो जाने के
न जाने कितने रास्ते हैं
क्योंकि भगवान ने
इंसान बनाए ही
प्यार करने के वास्ते है।
........
नफरतों की इस दुनिया में एक इंसान दूसरे इंसान को प्रेमभाव से देखने लगे तो सारे लड़ाई झगड़े ही खत्म हो जाएँ। किसी में कोई विशेषता खोजे बिना ही सिर्फ मानवीय आधार पर जो प्यार किया जाएगा वही सच्चा प्रेम कहलाएगा।
जवाब देंहटाएंक्योंकि भगवान ने
इंसान बनाए ही
प्यार करने के वास्ते है।
सार्थक सरल सहज अभिव्यक्ति।
आप ब्लॉगजगत में पुनः सक्रिय हों, यह प्रार्थना। सादर।
धन्यवाद मीना जी।
हटाएंकाश इसे हर कोई ऐसा ही समझे और तदनुसार बर्ताव करे।
आभार।
एक सरल रचना जो इंसान की सहज प्रवृति का उदघाटन करती है| प्रेम होने का कोई ठोस कारण आज तक अपरिभाषित रहा है |कौन इसका पात्र अकारण बन जाए और कौन सर्वगुण संपन्न होकर भी प्रेम से वंचित रह जाए ये बात किसी की भी समझ से परे है |सच में इंसान ही नहीं संभवतः हर जीवधारी प्रेम की अनुभूति से मालामाल है | बहुत अच्छा लिखा आपने आदरणीय अयंगर जी | आपकी पुनः सक्रियता बहुत ही सुखद है | स्वागत और अभिनन्दन !! अब मौन मत रहिये नियमित लिखिए ये विनम्र आग्रह है | सादर |,
जवाब देंहटाएंरेणुजी,
हटाएंसराहना के लिए साधुवाद स्वीकारें।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
श्वेता जी,.
हटाएंआभार।
इतने बड़े अंतराल के बाद ब्लॉग पर आई पोस्ट पर भी आपकी नजर पड़ी, आपने पढ़ा, पसंद किया और चुना...
इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है।
बहुत बहुत धन्यवाद।
आदरणीय सर, सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंआज आपसे पहली बार जुड़ रही हूँ। आपकी यह रचना बहुत ही प्यारी है जो मन को आनंदित कर देती है और साथ ही बहुत सुंदर सन्देश भी देती है। सच, यदि आपकी कविता का संदेश सभी को समझ आ जाए तो घृणा की भावना मिट जाएगी।
एक अनुरोध और, मैं एक कॉलेज छात्रा हूँ और मैं ने पिछले साल ही अपना ब्लॉग खोला है। कृपया मेरे ब्लोग पर आकर मेरी रचनाएँ पढ़ें और मुझे अपना मार्गदर्शन और आशीष दें। आप जैसे वरिष्ठ जनों का आशीष पाना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। सुंदर रचना के लिए आपको हार्दिक आभार व पुनः प्रणाम।
अनंता जी,
हटाएंआपने पढ़ा , रचना पसंद आई और अपने विचार बताना उचित समझा ... सबके लिए आभार.
आपने बताया कि आप छात्रा हैं।
यदि मेरी य़ाददाश्त सही है तो श्रीमती मीना शर्मा ने एक बार आपके ब्लॉग के बारे में बताया था और मैंने देखा भी था। हाँ कोई टिप्पणी नहीं की।
पढ़कर लगा भी कि आप इस क्षेत्र में नयी हैं।
आपने मुझे वरिष्ठ कहा है पता नही्ं किस कारण - हाँ उम्र से वरिष्ठ नागरिक हूँ। किंतु लेखन के क्षेत्र में कई महारथियों के बीच मैं अदना सा हूँ।
फिर भी जितना मुझसे होगा सहायक बनूंगा. पर हर बात ब्लॉग पर नहीं कही जा सकती।
आपको सफल लेखन सफर की शुभकामनाएँ।
अयंगर.
वाह! अद्भुत। बहुत ही सरल भाषा में सुसज्जित ढंग से सार्थक बातें कह दी है आपने।
जवाब देंहटाएंआपका सराहनीय टिप्पणी हेतु बहुत-बहुत मेहरबानियाँ जनाब प्रकाश साह जी
जवाब देंहटाएंसादर
अति उत्तम !!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पांडे जी।
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