जीवन प्रमाणन – अनुभव और तरीके
अक्टोबर 2015 में सेवानिवृत्त होने पर ही मुझे जीवन प्रमाणन की आवश्यकता हुई।
सरकारी कानूनन नवंबर में हर सेवानिवृत सरकारी तथा अर्धसरकारी कर्मचारी को पेंशन
पाने के लिए जीवित होने का प्रमाण देना होता है। उन दिनों अपने पेंशन अदायगी बैंक में जाकर फोटो, बैंक
खाता संख्या ,आधार कार्ड नंबर और पेंशन पेमेंट अथारिटी (पीपीओ) संख्या के साथ
फार्म भरकर हस्ताक्षरित करके जमा करना पड़ता था। जिसे बैंक का अधिकृत अधिकारी
सत्यापित करता था। मैंने भी फार्म जमा किया और मेरा पेंशन जारी रहा। मेरा पेंशन 58
की आयु पूरी होने पर ही मिलना शुरु हो गया था इसलिए मुझे नौकरी में रहते हुए भी
जीवन प्रमाणन देना पड़ता था। भले ही यह
फूहड़ सी बात थी, पर सरकारी कानून की अवहेलना करना यानी खुद अपनी पेंशन पर रोक
लगाना होता।
सेवानिवृत्ति पर प्रमाणन सौंपने के बाद सेवा स्थल पर रहने का कोई औचित्य मुझे तो नजर नहीं आया इसलिए मैं अपने निजी निवास हैदराबाद आ गया । सितंबर 2016 में मेरे एक दोस्त से बात हुई तो पता चला कि उसकी पेंशन रुक गई है और उसके निदान के लिए वह दिल्ली के पेशन कार्यालय पहुँचा हुआ है।
याद आते ही मैंने सोचा क्यों न मैं अपनी पेंशन को भी देख लूँ। देखने पर पाया कि मई महीने के बाद से मेरी भी पेंशन जमा नहीं हुई है। मेरी परेशानी शुरु हो गई। अब तक मेरा मित्र पेंशन कार्यालय से निकल चुका था। मैंने अगले ही दिन अपने पेंशन वाले बैंक की शाखा में संपर्क किया। खबर दी गई कि मेरा जीवन प्रमाणन नहीं पहुँचा है। मैंने अधिकारी को याद दिलाया कि सेवानिवृत्ति पर मैंने उनके ही हाथ में हस्ताक्षरित जीवन प्रमाणन दिया था। तब खबर दी गई कि कागजी हस्ताक्षरित प्रमाणन मई 2016 के बाद स्वीकार्य नहीं है। अब डिजिटल प्रमाणन ही मान्य होगा। हमारे देश में डिजिटल जीवन प्रमाणन 10 नवंबर 2014 से प्रारंभ हुआ। किंतु मुझे इसकी जरूरत अब पड़ी।
अब सवाल यह कि डिजिटल जीवन प्रमाणन कैसे पाया जाए। बैंक की सूचना के अनुसार यह काम पी एफ ऑफिस जाकर ही हो सकता है। मैंने वहाँ के पीएफ कार्यालय से संपर्क किया। उनका कहना था कि मुझे उसके लिए उनके कार्यालय जाना होगा । अब मेरे लिए समस्या खड़ी हो गई। मुझे अब हैदराबाद (तेलंगाना) से छत्तीसगढ़ में रायपुर या बिलासपुर जाना होगा।
उन्हीं दिनों में हमारी सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही थी । मैंने इसी बात का जिक्र पी एफ कार्यालय से किया तो लगा कि यहाँ के पी एफ कार्यालय में जीवन प्रमाणन कराकर उनको खबर देने से शायद समस्या हल हो जाए। तेलंगाना राज्य की राजधानी होने के कारण यहाँ हैदराबाद में पी एफ विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय है।
मुझे तो यहाँ के रास्ते भी नहीं पता थे। पता करते हुए, दो बसों में सफर करते हुए, मैं यहाँ के क्षेत्रीय कार्यालय पहुँचा । वहाँ एक कूपन दिया गया । मेरा नंबर 95-96 के आसपास था। अंदर पहुँचा तो देखा कि वहाँ सारी जनता बैठी है और शायद सबसे कम उम्र का पेंशनर मैं ही हूँ। वहाँ 85-90 वर्ष के बुजुर्ग उपस्थित थे, जिनके कमर धरातल के समानान्तर झुक गए थे। पर उनकी जल्दी करने की विनती भी किसी को सुनाई नहीं पड़ रही थी। तब मुझे एहसास हुआ कि मुझसे बड़ी मुसीबत में तो सारी दुनिया है, मेरा दुखी होने का कोई अर्थ नहीं है। कुछ ने तो बताया कि वे बैंक में फार्म भरकर दे चुके हैं और यहाँ प्रमाणन कराने चौथी बार आए हैं। पिछले तीन बार भी उन्हें DLC दिया गया था, पर पेंशन नहीं आ रही है।
कुछ समय में पता चला कि अभी 25-26 नंबर का प्रमाणन चल रहा है। दो सरकारी कर्मचारी लोगों का प्रमाणन कर रहे हैं । प्रति व्यक्ति का प्रमाणन में करीब 5 मिनट लग रहे थे। हिसाब लगाकर देखा कि दो कर्मचारियों को 25 से 95 तक आने में तीन घंटे लगने वाले हैं। अभी 11 बजे थे और लंच का एक घंटा लगाकर करीब तीन बजने वाले हैं। वही हुआ सवा तीन बजे मेरा जीवन प्रमाणन हुआ। लंच नहीं हो पाया, घर आते-आते ही साढ़े पाँच बज गए थे।
पीएफ कार्यालय से जीवन प्रमाणन का एक सर्टिफिकेट मिला था । कहा गया कि इसे मैं अपने पेशन दाता पीएफ कार्यालय में भेज दूँ। पर नेट से भी न वहाँ का पता मिला न ही ई मेल । इसलिए मैंने फिर पी एफ ऑफिस काल किया तो उन्होंने उस दस्तावेज का आइडेंटिटी नंबर माँगा और चेक करके कहा कि आपका जीवन प्रमाण स्वीकृत कर लिया गया है। लेकिन बाद में मुझे दिल्ली के पी एफ कार्यालय से भी संदेश मिला कि मेरा जीवन प्रमाणन स्वीकृत हो चुका है और मेरी पेंशन की राशि अगले महीने बकाया के साथ खाते में जमा कर दी जाएगी। पर यह तो केवल नवंबर 2016 तक ही चलना था। तीन चार महीने में यह कार्यक्रम दोहराया जाना था।
मैंने इस बारे में एक लेख अपने ब्लॉग पर लिखा और फेसबुक पर भी लिखा। पता नहीं उसकी वजह से या अन्य कारणों से इस बार सरकार ने यह सुविधा कुछ ज्यादा जगहों पर उपलब्ध करवा दिया। पी एफ कार्यालय के साथ ही बैंकों की कुछ शाखाओं को भी अधिकृत कर दिया। लोग एक जगह इकट्ठा होने के बदले जगह - जगह बँट गए । इससे काम भी जल्दी हुआ। फिर भी जीवन प्रमाणन केंद्रों मे भीड़ तो थी. अगले वर्ष Consumer service center (तेलंगाना और आँध्र में ई-सेवा / मी-सेवा केंद्रों) को भी अधिकृत किया गया। किंतु वे रु. 50 प्रति व्यक्ति प्रमाणन की फीस लेने लगे। कई लोग जिनके लिए बैंक या पी एफ ऑफिस जाना संभव नहीं था या आसान नहीं था, उन लोगों ने रु 50 की फीस देकर इन केंद्रों में भी प्रमाणन करवाया।
2017 नवंबर में भी यही रवैया रहा। उड़ती खबर आने लगी कि पेंशनर घर बैठे ही अपना जीवन प्रमाणन कर सकते हैं । फेसबुक और वाट्स एप पर भी संदेश आने लगे। किंतु यह बात जाहिर नहीं की गई कि “बशर्ते उनके पास फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन (FPI) की सुविधा हो”। पर कोई ऐसा कर नहीं सका। वजह थी कि फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन की सुविधा की उपलब्धि बहुत कम थी। फलस्वरूप लोगों को पी एफ कार्यालय, बैंक या फिर ई-सेवा – मी-सेवा केंद्रों मे जाना पड़ा ।
2018 में घर बैठे जीवन प्रमाणन की सुविधा का बड़ा प्रचार हुआ। मुझे लगा कि यह सही मौका है कि मुहल्ले के बुजुर्गों की सहायता की जा सकती है। मैंने बाजार से पता किया कि फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकोशन (FPI) का अटेचमेंट कितने का मिलता है। पता लगा कि वह रु.3800 से रु.4000 तक की कीमत रखता है। फिर (UIDAI) आधार कार्ड संस्था के पोर्टल से जाना कि इस यूनिट को संस्था पर रजिस्ट्री करानी होगी, उसके लिए रु. 300 की फीस है। साथ ही यह भी पता चला कि यह फीस हर साल देनी होगी वरना यूनिट काम नहीं करेगा। जब पास के CSC सेंटर में यह काम रु.50 में हो जाता है, बैंक और पीएफ कार्यालय इसकी मुफ्त सेवा दे रहे हैं तो रु.4000 एक मुश्त और रु.300 सालाना देकर घर बैठे कराया जाए । अब जनता खुद तय करे कि सरकार के इस प्रचार का क्या औचित्य है। पता नहीं कोरोना की वजह से उभरे हालात यही रहेंगे (भगवान न करे) या बदलेंगे। यदि बदले तो पूरा खर्चा बट्टे खाते में। इस अनुसंधान के बाद मैंने अपना विचार त्याग दिया।
2019 में भी यही प्रचार हुआ कि आप कहीं से भी अपने मोबाइल पर जीवन प्रमाणन कर सकते हैं लेकिन सबमें एक यही बात छुपी रही कि आपको उसके लिए वही पुराना FPI चाहिए ।
फिर 2020 में भी वही प्रचार हुआ किंतु प्रणाली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। साथ ही साथ एक नई बात आई कि अब आप पुराने जरियों के अलावा डाक खाने द्वारा भी जीवन प्रमाणन करवा सकते हैं। उनकी पोर्टल पर रजिस्ट्री के बाद आपके चाहने पर डाकिया FPI मशीन और एंड्रोयड फोन लेकर आपके घर आएगा और उसकी सहायता से आपको जीवन प्रमाण का आई डी दे जाएगा। आशा है कि प्रणाली द्वारा ही यह सूचना संबंधित पेँशन कार्यालय तक पहुँच जाएगी। अब सवाल यह है कि सब लोग घर बैठे डाकिया से ही जीवन प्रमाणन क्यों न करवा लें? वह इसलिए कि इसमें छुपे राज “इसकी फीस रु 70 होगी” का पूरा प्रचार नहीं किया गया।
मेरे देस्तों को जब मेंने इन सब जरियों का विवरण बताया तो एक साथी ने दिल्ली में CSC पर जाकर प्रमाणन करवाया, जिसकी फीस उससे रु.200 ली गई। मेरे घर से पी एफ कार्यालय करीब 15 से 17 कि मी दूर है और बैंक (जहां जीवन प्रमाणन संभव है) कोई 7-8 किमी है। जहाँ जाने के लिए एक तरफ का किराया क्रमशः रु 200 और रु.150 है। इसलिए मेरे लिए उचित है कि मैं पास के CSC पर ही रु 50 देकर प्रमाणन करवा लूँ ।
2020 में सरकारी CSC के अलावा कुछ नेटवर्क सर्विस सेंटरों को भी जीवन प्रमाणन की इजाजत दी गई । वे इसके लिए अपनी सुविधानुसार फीस लेते हैं । अब यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि हालातों के अनुसार इन सब में से कौन सी सुविधा उसकी प्राथमिकता है।
जीवन प्रमाणन की विभिन्न प्रणालियाँ / तरीके
1.
पी एफ कार्यालय
द्वारा।
2.
चुनिंदा बैंकों
द्वारा।
3.
सरकारी CSC द्वारा।
4.
चुनिंदा निजी नेट
सर्विस केंद्रों द्वारा।
5.
पोस्ट आफिस के जरिए।
1. पी एफ कार्यालय से जीवन प्रमाणन –
आपको निम्न दस्तावेज साथ रखना है –
1. पेंशन वाला बेक पासबुक
2.
आधार कार्ड
3.
मोबाईल फोन और नंबर
(संभवतः अधार वाला)
4. पेंशन पेमेंट ऑर्डर
यहाँ जीवन प्रमाणन की सुविधा निशुल्क है। आप जैसे ही जीवन प्रमाण के लिए पी एफ
कार्यालय जाएंगे और स्वागत कक्ष में सूचित करेंगे तो आपको एक टोकन दिया जाएगा और
एक कक्ष संख्या बताई जाएगी कि वहाँ जाइए। उस कक्ष में जाने पर आप देखेंगे कि कुछ
कर्मचारी लोगों का जीवन प्रमाणन करने में लगे हैं और बहुत सारे (अक्सर बुजुर्ग) वहाँ
की बेंचों –कुर्सियों पर इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारी क्रमाँकानुसार टोकन नंबर
पुकारता है और उसी के अनुसार टोकन धारक को उपस्थित होना है। कर्मचारी पेंशनर से
उसका आधार नंबर पूछकर कंप्यूटर में लिखता है आपका बैंक खाता चालू है इसकी तसल्ली करता
है और फोन नंबर (बेहतर हो वही नंबर दें जो आधार से जुड़ा है) भी दाखिल करता है।
पीपीओ भी कभी-कभी जाँच के लिए माँग ली जाती है।
उसके बाद कर्मचारी आपके आंखों की तस्वीर लेता है और कभी किसी एक उंगली की छाप भी लेता है । इनसे आपके आधार नंबर का सत्यापन होता है। आपके मोबाइल पर इसका एक OTP आता है। उसे पूछकर कंप्यूटर में दाखिल करने से आपके जीवन का प्रमाणन हो जाता है। इसके साथ ही आपके प्रमाणन की संख्या आ जाती है। कर्मचारी आपको उसका एक प्रिंट दे देता है। आप देख लें कि आपका नाम, पी पी ओ नंबर और आधर संख्या सही है कि नहीं। यदि नहीं तो तुरंत वहीं कर्मचारी को सूचित करें।
2. चुनिंदा बैंक ब्राँचों में जीवन प्रमाणन –
यहाँ आपको एक फार्म दिया जाता है जिसमें आपको अपना आधार नंबर, फोन नंबर(आधार संबंधित हो तो बेहतर), पीपीओ नंबर और पेशन पाने वाले बैंक खाते का नंबर भरना होता है । उसके बाद बैंक कर्मचारी आपके आधार नंबरऔर फोन नंबर को कंप्यूटर में दर्ज करके आपका फिंगर प्रिंट लेकर अपलोड करता है जिससे आपके जीवित होने का प्रमाणन आई डी मिल जाता है. इस आई डी का एक प्रिंट आपको दे दिया जाता है और सूचना आपके पीएफ कार्यालय और बैंक ब्राँच को स्वतः प्रेषित हो जाती है। यहाँ भी जीवन प्रमाणन की सुविधा निशुल्क है।
3. CSC सर्विस प्रोवाइडरों के पास –
एक सरकारी ठेका होने पर भी व्यापारिक संस्थान हैं। यहाँ पर आपको आधार नंबर और फोन नंबर बताना है और फिंगर प्रिंट देना है। बस उन सूचनाओं के भरते ही कंप्यूटर से जीवन प्रमाणन मिल जाता है। आपको एक प्रिंट मिल जाएगा और रु 50 (कम से कम) की फीस ले ली जाएगी। कुछ केंद्रों ने हालातों के मद्देनजर रु 100 और 200 की फीस भी वसूला है।
4. चुनिंदा (अधिकृत) निजी नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडरों से -
यह एक निजी व्यापारिक संस्थान हैं. यहाँ पर आपको आधार नंबर और फोन नंबर बताना है और फिंगर प्रिंट देना है। बस उन सूचनाओं के भरते ही कंप्यूटर से जीवन प्रमाणन मिल जाता है. आपको एक प्रिंट मिल जाएगा और रु 50 (कम से कम) की फीस ले ली जाएगी। कुछ केंद्रों ने हालातों के मद्देनजर रु 100 और 200 की फीस भी वसूला है।
5. डाक विभाग से जीवन प्रमाणन –
पॆशनर Postal info mobile app या Govt Web page पर Door step request बुक कर सकते हैं। अभी केंद्रीय कर्मचारी ही इस सुविधा का लाभ पा सकते हैं. आपका Digital Life Certificate (DLC) नंबर आपके मोबाइल पर आ जाएगा। इसके लिए आपको निम्न दस्तावेज साथ रखने होंगे।
अ) पेंशन आई डी।
आ)
पेंशन
पेमेंट ऑर्डर।
इ)
पेंशन
अदायगी विभागका नाम।
ई) पेंशन पाने वाली बैंक की जानकारी
(खाता संख्या, IFSC, br. location, bank’s name)
उ)
मोबाइल
नंबर ( संभवतः आधार वाला)
ऊ)
ई
मेल आई डी
ऋ)
आधार
संख्या
किसी दस्तावेज की कापी नहीं चाहिए, पर मूल को सत्यापन हेतु साथ रखना बेहतर है।
कहा जा रहा है कि कोरोना से उत्पन्न हालातों में यह एक बहुत बड़ी सुविधा है। डाकिया
या ग्राम डाक सेवक स्मार्ट फोन और FPI
लेकर घर पहुँचेंगे। जीवन प्रमाणन संख्या मिलने पर उनको रु70 की नगद
राशि का भुगतान करना होगा।
डाक विभाग से जीवन प्रमाण (DLC – Digital Life Certificate) प्राप्त करने का तरीका।
11. गूगल प्ले स्टोर से पोस्ट इन्फो एप डाउनलोड करें।
22. उसमें सर्विस रिक्वेस्ट पर जाएँ।
33. नाम, पता, पिन कोड, मोबाइल नंबर और जो भी जानकारी माँगी जाए
दीजिए।
44. उसके बाद पहले IPPB
और फिर जीवन प्रमाण चुनें।
55. OTP कन्फर्म करें। इससे आपका DLC पिन केड के अनुसार पास के डाक घर में पहुँच जाएगा।
66. आपसे समय और पता पूछ कर अगले 24 घंटों में डाकिया या
ग्रामीण डाक सेवक FPI & Android फोन लेकर आपकरे घर आएगा और आपका फिंगर प्रिंट लेकर तसल्ली कराएगा कि आपका DLC
बन गया है।
77. आपके मोबाइल पर NIC
– National Informatics Centre से SMS में आपके DLC का नंबर आएगा।
88. आपके पेंशन वाले बैंक को यह नंबर और DLC स्वतः
ही पहुँच जाएगा।
99. बैंक से आपके पास SMS
आएगा कि आपका DLC स्वीकृत हो गया है।
110. DLC नंबर आने पर आप डाकिया या ग्राम सेवक को
रु 70 फीस की रकम नगद दे दें
111. आप के पास DLC का नंबर है , इससे आप
http://jeevanpramaan.gov.in/ppouser/login पर लॉगिन करके अपने DLC को सेव कर सकते हैं या प्रिंट ले सकते हैं।
112. यही सुविधा आप डाकघर के काउंटर पर micro ATM से भी पा सकते हैं।
http://jeevanpramaan.gov.in/ppouser/login पर आप अपने
निकटवर्ती जीवन प्रमाण केंद्र भी खोज सकते हैं।
कुछ सुझाव -
1. जब पेंशनर किसी सरकारी या अर्धसरकारी संस्थान में कार्यरत है तब उससे जीवन प्रमाण लेनाकोई औचित्य नहीं रखता. इसे तुरंत प्रभाव से रोक देना चाहिए।
2. जब भी कोई नई सुविधा सुझाई जाए तब उसका पूर्ण विवरण फीस सहित दिय़ा जाए।
3. जीवन प्रमाणन के लिए CSC & selected internet providers के पास एक फीस तय की जानी चाहिए। आज वे अंधाधुँध मनमर्जी फीस ले रहे हैं।
4. पीएफ कार्यालय को शहर का विस्तार और पेंशनर जनों की संख्या के अनुसार अपने कार्यालय की अतिरिक्त शाखाएँ खोलने पर विचार करना चाहिए।
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बहुत अच्छा, सरल सिलसिलेवार व्यवस्थित ढंग से लिखा गया आलेख। जब तक मैं रिटायर होऊँगी तब तक तो इनमें और भी नए नए बदलाव जुड़ चुके होंगे।
जवाब देंहटाएंहाँ, बदलाव तो आते ही रहेंगे. यह बदलाव ही तो शाश्वत है दुनिया में।
जवाब देंहटाएंआभार मीना जी💃🏆
bahut achhi jankari se purn lekh.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पाँडे जी।
हटाएंasha hai ki sarkar ke sambandhit adhikari sujhaon par sheeghra vichar karenge
जवाब देंहटाएंपांडे जी, बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी दी आपने।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महेश जी।
हटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी।
जवाब देंहटाएंज्योति जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार।
1.आप को पोस्ट का मेल संदेश मिला या वैसे ही ब्लॉग पर अई थीं। बहुतों को मेल नहीं मिलने की शिकायत है।
2. तुमसर में ही श्रीमती सुशील तिवारी मनस्वी जी भी रहती हैं। (फेकर में कार्यरत थीं) आपका उनसे परिचय है क्या?
सरकारी व्यवस्था सरक-सरक चलने की
जवाब देंहटाएंसही जानकारी कोई देना ही नहीं चाहता जैसे सरकारी कार्यालयों में
बहुत ही दिक्कत होती है
पढ़े-लिखे हो तो भी सरकारी काम करवाना टेढ़ी खीर है आज भी, कई बार भुक्तभोगी हैं हम भी
बहुत अच्छी उपयोगी जानकारी
धन्यवाद कविता जी,
हटाएंब्लॉग पर आपका आना, और विस्तार से टिप्पणी में सहमति की सूचना आभास दिलाता है कि अब भी लेखनी चल सकती है।
आभार।
बहुत ही सठीक और सविस्तार जानकारी। आपने लाइफ सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने के विधाओं और समय समय पर हो रहे परिवर्तन व वरिष्ठ नागरिकों को हो रही कठिनाइयों को भी बयां किया है। सरकार और संबंधित विभाग में कार्यरत कर्मी भी वरिष्ठ नागरिकों के प्रति मानवीय दृष्टि से विचार करने की जरूरत है। आपने हाल की वरिष्ठ नागरिकों को हो रही परेशानियों को अच्छी तरह प्रस्तुत किया है।
जवाब देंहटाएंअज्ञात जी,
जवाब देंहटाएंपता नहीं आपने अपना नआम बताना उचित नहीं समझा।
आपकी विस्तृत टिप्पणी मेरा संबल बढ़ाने के लिए काफी है।
आपका सहृदय आभार।