पुस्तक " गुलदस्ता" की समीक्षा -
श्री महेश त्रिपाठी द्वारा
पुस्तक
"गुलदस्ता" पूरी पढ़ ली गई है और जैसा नाम है "गुलदस्ता" वैसे
ही पुस्तक के गुलदस्ते में अलग - अलग विषयों, समसामयिक मुद्दों, पुस्तक प्रकाशन में आने वाली कठिनाइयां पढ़ने को मिली। काफी ज्ञानवर्धन हुआ।
परिवारिक जिम्मेदारियां वाला लेख बहुत ही बढ़िया लगा, व्यवहारिक बातें बताई गई हैं लेख में । इसपर हमने एक बार चर्चा भी की थी, संक्षेप में।
बढ़िया, लेखकों को ऐसे ईमानदार सुझावों की बहुत जरूरत होती है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीनाजी।
हटाएंमेरी टिप्पणी को ब्लॉग पर जगह देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमहेश जी
जवाब देंहटाएं🌝
धन्यवाद