मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

मेरा आठवाँ प्रकाशन  / MY Seventh PUBLICATIONS
मेरे प्रकाशन / MY PUBLICATIONS. दाईं तरफ के चित्रों पर क्लिक करके पुस्तक ऑर्डर कर सकते हैंं।

बुधवार, 22 मार्च 2017

मजबूरियाँ

मजबूरियाँ.


मिटा ही न देना तुम दूरियां
समझो जमाने की मजबूरियाँ ।। 

इतनी बढ़ाओ न नजदीकियाँ,
बढ़ती रहेंगी तो खुशियाँ मिलेंगी
तिनकों के सागर सी दुनियां मिलेगी
झूमेंगे तन मन औ बगिया खिलेगी ।।

मिलने से हँसी, नाच गाने बजेंगे,
जो बिछड़े तो, विरह में 'बाजे बजेंगे',
सहना जुदाई एक पर्वत है भाई,
बेटी की बाबुल से बस, होती बिदाई ।।

ये तोड़ देता है टुकड़ों में दिल को,
सँभलता नहीं मन,तड़पे जटिल वो।।

कुछ दूरियां भी रखना जरूरी है,
मुश्किल तो है पर सहना जरूरी है ।।

न हों दूर इतने कि मिलने न पाएँ,
न घुल जाएँ इतना, जुदा हो न पाएँ, 
जुदाई का दुख तो सँभाले समय ही,
तो मिलने को हद दो, रखो दूरियां भी ।।

यहाँ कुछ भी, कभी भी शाश्वत नहीं है 
बदलना जमाने की नीयत रही है
मिटा ही न देना तुम दूरियां,
समझो जमाने की मजबूरियाँ ।।

बदलना जमाने की नीयत रही है.
रखो दूरियां अब जरूरत यही है
समझो जमाने की मजबूरियाँ, 
मिटा ही न देना तुम दूरियां ।।

बहुत दोस्त मिल जाएँगे इस जहाँ में, 
अकेले किसी पर न टँगना जहाँ में,
जुदा होंगे साथी, जुदा ना जहाँ से,

सजाना जहाँ फिर, नए दोस्तों से.
********************