मजबूरियाँ.
मिटा ही न देना तुम दूरियां
समझो जमाने की मजबूरियाँ ।।
इतनी बढ़ाओ न नजदीकियाँ,
बढ़ती रहेंगी तो खुशियाँ मिलेंगी
तिनकों के सागर सी दुनियां मिलेगी
झूमेंगे तन मन औ बगिया खिलेगी ।।
मिलने से हँसी, नाच गाने बजेंगे,
जो बिछड़े तो, विरह में 'बाजे बजेंगे',
सहना जुदाई एक पर्वत है भाई,
बेटी की बाबुल से बस, होती बिदाई ।।
ये तोड़ देता है टुकड़ों में दिल को,
सँभलता नहीं मन,तड़पे जटिल वो।।
कुछ दूरियां भी रखना जरूरी है,
मुश्किल तो है पर सहना जरूरी है ।।
न हों दूर इतने कि मिलने न पाएँ,
न घुल जाएँ इतना, जुदा हो न पाएँ,
जुदाई का दुख तो सँभाले समय ही,
तो मिलने को हद दो, रखो दूरियां भी ।।
यहाँ कुछ भी, कभी भी शाश्वत नहीं है
बदलना जमाने की नीयत रही है
मिटा ही न देना तुम दूरियां,
समझो जमाने की मजबूरियाँ ।।
बदलना जमाने की नीयत रही है.
रखो दूरियां अब जरूरत यही है
समझो जमाने की मजबूरियाँ,
मिटा ही न देना तुम दूरियां ।।
बहुत दोस्त मिल जाएँगे इस जहाँ में,
अकेले किसी पर न टँगना जहाँ में,
जुदा होंगे साथी, जुदा ना जहाँ से,
सजाना जहाँ फिर, नए दोस्तों से.
********************
https://laxmirangam.blogspot.com/ इस ब्लॉग की सारी रचनाएं मेरी मौलिक रचनाएं हैं। ब्लॉग पर आपकी हर तरह की टिप्पणियाँ आमंत्रित हैं।
मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS
मेरे प्रकाशन / MY PUBLICATIONS. दाईं तरफ के चित्रों पर क्लिक करके पुस्तक ऑर्डर कर सकते हैंं।
बुधवार, 22 मार्च 2017
मजबूरियाँ
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 13 books in Hindi and one in English.
Can manage with Kannada, Tamil, assamese, Marathi .
Published 10 books in Hindi containing Poetry, Short stories, Currect topics, Essays, analysis etc. All are available on www.Amazon.in/books with names Rangraj Iyengar & रंगराज अयंगर
Both my english books are adopeted by FLAME university Pune for MBA (HR) Final year STUDENTS.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बदलना जमाने की नीयत रही है.
जवाब देंहटाएंरखो दूरियां अब जरूरत यही है
समझो जमाने की मजबूरियाँ,
मिटा ही न देना तुम दूरियां ।
बहुत ही भावुक करने वाली बात है रचना में आदरणीय IYENGAR जी , कुछ तो शाश्वत होता इस संसार में , क्यों नहीं है ये बात बहुत विचलित करती है | भावपूर्ण रचन --सादर --!