बिछना - बिछाना.
जमाना बदल रहा है.
काफी बदल गया है.
लेकिन बिछने की आदत अभी कायम है.
पहले आँखें बिछाते थे,
नजरें बिछाते थे,
फिर कालीने बिछने लगीं ,
लोगों को फख्र महसूस होता था,
लोगों को हर्ष महसूस होता था,
जब किसी प्रतिभावान स्त्री- पुरुष के समक्ष,
साष्टांग प्रणाम करने,
बिछ जाने को,
कतार लगती थी,
अब भी लोगों को फख्र महसूस होता है,
अब भी लोगों को हर्ष महसूस होता है,
लेकिन अब नजारा और है,
कि अब हम न ही बिस्तर बिछाते हैं,
न ही हम कालीनें बिछाते हैं,
न ही नजरे इनायत बिछाई जाती है,
हम बिछाने में विश्वास नहीं करते ....
हम तो खुद ही बिछ जाते हैं.
एम.आर.अयंगर.
09425279174.
bahutkhoob!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
जवाब देंहटाएंएम.आर.अयंगर.
bichte bichhte bichhauna ban gaye hain. Silwaten bichhauna ki ahshas kara rahin abhi aur kitna bichhna hai.?
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