मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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मंगलवार, 28 मई 2013

शुद्धता.

शुद्धता


आज पानी की कमी है,

कोयला पानी की कमी है,

तेल पानी की कमी है,

ऊर्जा पानी की कमी है,


फिर कुछ काल बाद...

ऐसा इक दिन होगा ...

जलते जलते सूरज का ह्रास होने लगेगा,

ह्रास का दर बढेगा तब मानव चेतना जागेगी,

फिर एक वक्त धूप नहीं मिलेगी,

प्रदूषण की प्रवृत्ति के कारण,

शुद्ध हवा भी नहीं होगी...

लेकिन ...

दूषित वातावरण में रहने का आदि यह मानव,

जो आज ठीक  से शुदध घी, दूध पचा नहीं पाता,

कल शुद्ध धूप और हवा का भी सेवन नहीं कर पाएगा.

वैसे सुनने में यह अतिशयोक्ति लग सकती है,

पर दिल में झांक कर देखो, सामने अंधकार नजर आएगा.
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4 टिप्‍पणियां:

  1. मन का रोष और और आने वाले कल को लेकर चिंता उजागर होती है....
    वर्ड वैरीफिकेशन हटा दीजिए. टिप्पणी करने में आसानी होगी....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वीना जी,

      आपकी सकारात्मक टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

      जहाँ तक वर्ड वेरिफिकेशन की बात है , यह पहले ही हटा ली गई है. यदि अब भी असुविधा हो रही हो तो कृपया सूचित करें.

      अयंगर.

      हटाएं

Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.