तुम्हारे लिए
आपकी परियोजना में,
मैं आपका साथ देना चाहता हूँ।
आपको मुश्किल नहीं हो, इसलिए
मैं अपनी जुबां को बाँध देना चाहता हूँ।
आपके कार्यक्रमों में मैं नहीं बाधक बनूंगा।
आपकी हर मुश्किलों में, मैं निरा साधक रहूँगा।
दूर होना चाहती हो तो,
पास आऊंगा नहीं मैं।
खुद को व्यस्त रखना चाहती हो,
तो पुकारूंगा नहीं मैं।
तुम बना लो जो भी बहाने
मेरी नजर से दूर होने,
पर मेरे मन को भुलावा ,
कैसे दोगी कौन जाने।
साथ इतना चल पड़े हैं एक पथ पर,
चाप अंकित होगा यह जान लो तुम।
तुम्हें देख कर सोचने की जरूरत नहीं है,
चाल और बोल से भी जान लूंगा।
सामने आने की जरूरत भी नहीं अब,
आपकी आवाज से पहचान लूंगा।
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