पुस्तक का शीर्षक - विमान उड़ने के लिए तैयार है।
लेखक – श्री
संजय त्रिपाठी
प्रकाशक - स्वयं
प्रकाशित
आई. एस. बी. एन. - 978-93-5768-625-9.
कुल अध्याय - 11
कुल पृष्ठ - 120.
मूल्य - रु. 180 मात्र
प्राप्त करने हेतु संपर्क - saarprakashan@gmail.com
पुस्तक “विमान
उड़ने के लिए तैयार है”
, लेखक श्री संजय त्रिपाठी की पहली प्रकाशित पुस्तक है।
पुस्तक में लेखक ने अपने विदेशी दौरों के
अनुमोदन, दौरे के उद्देश्य और उसके लिए तैयारियाँ, विभिन्न कंपनियों, विभागों,
एजेंसियों , अधिकारियों व संबंधित मंत्रालयों से सामंजस्य की कहानी को विस्तार से
लिखा है। विदेशी दौरों की उद्देश्य पूर्ति का विवरण देते हुए लेखक ने आस पास के
दर्शनीय स्थलों का भी बखूबी चित्रण किया है।
लेखक श्री संजय त्रिपाठी जी पिछले सदी की
आखिरी दशक से मेरे परिचित हैं। सुदूर असम के होने के बावजूद हिंदी भाषा पर इनकी पकड़
कई हिंदी भाषियों से बेहतर है। पुस्तक में इन्होंने अपने दसेल्दोर्फ , मेड्रिड ,
रिओ डी जेनेरो , साओ पाउलो और पेरिस के दौरों के अनुभवों को साझा किया है।
त्रिपाठी जी रचना शक्ति के धनी हैं। भाषा
पर अच्छी पकड़ है। इस पुस्तक की भाषा न ही नितांत साहित्यिक है, न ही एकदम बोलचाल
की भाषा । किंतु किसी भी जन साधारण हिंदी-भाषी को आसानी से समझ में आने के लिए
उचित है। हाँ, कहीं- कहीं कुछ शब्द नितांत हिंदी के आ गए हैं, जिनसे पाठकों को
शायद कुछ परेशानी हो।
जगहों का स्थानीय वृत्तांत बहुत ही बारीकी और विस्तार से किया गया है। इससे पाठकों के सामने स्थानीय नजारा उजागर हो जाता है। जगह-जगह पर कीमतों की तुलना भारतीय मुद्रा से की गई है जिससे पाठक समझ सकें कि वहाँ की कीमतें भारत के सापेक्ष में कैसी हैं। वैसे ही स्थानीय हालातों की तुलना भी भारतीय परिस्थितियों से की गई है, खासकर बनारस की गलियों से। इससे जाहिर होता है कि लेखक का बनारस से खासा संबंध है।
यह पुस्तक पाठकों को विदेशी शहरों का रहन-सहन,
वातावरण और वहाँ के दर्शनीय स्थलों का विस्तार
में जानकारी देती है। खासकर मुझे इससे बहुत लाभ हुआ क्योंकि मैंने अपने निजी
कारणों से अपने वतन के बार कदम न रखने का प्रण लिया हुआ है। इसीलिए मैंने कभी
विदेशी दौरे की ख्वाहिश नहीं की और आए प्रस्तावों को भी ठुकरा दिया ।
इस पेपर-बैक पुस्तक का मुख-आवरण बहुत ही
आकर्षक है और पृष्ठ-आवरण पर विशिष्ट व्यक्तियों के पुस्तक के प्रति विचार हैं।
भाषा सरल और स्पष्ट है। पृष्ठ उत्तम दर्जे का है और प्रिंट साफ और सराहनीय है। पुस्तक
में चित्रों की जगह कार्टून-टाईप रेखा चित्रों को जगह दी गई है, औसतन एक अध्याय
में एक रेखाचित्र है। लगभग हर रेखाचित्र
में त्रिपाठी जी की शक्ल उजागर होती है।
पुस्तक में कुछ जगह कुछ अक्षर व शब्द
बोल्ड हो गए हैं। कुछ तो लगता है प्रिंटिंग की त्रुटि से हैं, पर कुछ लगते हैं कि
लेखक की मर्जी से हुआ है। हाँ, पुस्तक में प्रूफरीडिंग की कुछ कमियाँ दिखी हैं,
जिन्हें भाषा की गलतियाँ नहीं कहा जा सकता है। लेखक संजय त्रिपाठी से विशेष अनुरोध है कि अगले
संस्करण के पहले खुद एक बार प्रूफ रीडिंग कर ले या किसी से करवा लें।
लेखक संजय त्रिपाठी की पुस्तक “विमान उड़ने के लिए तैयार है” जो उनके विदेश दौरों का यात्रा वृत्तांत है, सारांशतः काफी रोचक व पठनीय बन
पड़ी है। यात्रा का आनंद लेने वाले और यात्रा वृत्तांत का स्वाद जानने वाले हर
व्यक्ति को इस पुस्तक की एक प्रति अपने बुक-शेल्फ और लाईब्रेरी में रखना चीहिए।
मैं संजय त्रिपाठी की रचनाधर्मिता और उनकी पहली प्रकाशित इस पुस्तक, विमान उड़ने के तैयार है को हर संभावित शुभकामनाएँ देता हूँ। मुझे आशा ही नहीं, विश्वास है कि पुस्तक पाठकों को बहुत पसंद आएगी और लेखक को लेखन में आगे बढ़ने का संबल प्रदान करेगी।
माडभूषि रंगराज
अयंगर,
सिकंदराबाद,
तेलंगाना
8462021340
स्पष्ट एवं संक्षिप्त समीक्षा, जो पुस्तक के बारे में और जानने की उत्सुकता का निर्माण करती है।
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