पूछो जी पूछो...
नयनों के कोरों से,
पवन के झकोरों से,
पूछो जी पूछो...
ये बात कहां से उड़कर पहुँची है तुम तक ?
कविता से छंद से,
फूल की सुगंध से,
पूछो जी पूछो...
ये साथ अपने लेकर क्या पहुँची है तुम तक ?
मँझधारों किनारों से,
धारों पतवारों से,
माँझी के इशारों से,
चंदा से, तारों से,
पूछो जी पूछो...
ये राज कहां से पाकर पहुँची है तुम तक ?
बलखाती राहों से,
लहराती बाहों से,
अनमोल अदाओं से,
रंगीन फिजाओं से,
पूछो जा पूछो...
ये बात कहां से उड़कर पहुँची है तुम तक ?
ये बात कहां से उड़कर पहुँची है तुम तक ?
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एम.आर.अयंगर. 8462021340
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