बचपन
बादलों के बीच से,
बचपन झाँकता है.
वसंत के नए अंकुर,
किसी बालक के,
चेहरे की खुशी को,
प्रतिबिंबित करते हैं,
कितना आनंद आता है देखकर,
मचलते कुत्ते के पिल्लों को,
या बिल्ली के कोंपलों को,
सत्यता है ,
कि किसी भी नवांकुरित को
देखकर,
एक विशेष आनंदाभास होता है
शायद अपने जीवनाभास के कारण.
ये सब दुनियादारी से दूर,
पवित्र नजर आते हैं.
आज की अमानुषिकता,
एवं राजनीति की परछाईं से दूर,
ये नवीनतम जीव ही,
पवित्रता के मील पत्थर हैं,
कसौटी हैं,
अंधकार में रोशनी के रूप का.
अयंगर.
8462021340.
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