03102011
लाल
( बहादुर शास्त्री )
गीता
को अपनाना, फिरसे
जिसको
तुमने सिखलाया,
किसानों
औ जवानों का,
जहाँ
किया था जयकारा,
इक
आवाज के दम पर तेरे,
सारे
देसवासियों ने, हफ्ते
तेरह
भोजन स्वीकारा,
एक
कम किया अन्न बचाने,
भूखा
रहकर बेचारा.
“जय जवान – जय किसान”
नारा, आज भी दिल को छूले,
उसी
जगह हम आज तुम्हारा,
जनम
दिवस भी भूले.
ताशकंद
में अगर न होती,
हावी
तुम पर काल,
आज
न होता भारत का ,
जैसा
अब है हाल.
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2 अक्तूबर को इनका भी जन्म दिन था।।।
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एम.आर.अयंगर.
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