वार्षिक - नारा
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वर्ष में एक बार,
सिर्फ एक बार,
नारा लगाएँ...
कोएला बचाएँ,
पानी बचाएँ,
बिजली बचाएँ,
नदियाँ बचाएँ,
तेल बचाएँ,
आवरण बचाएँ,
पर्यावरण बचाएँ,
पर भूले रहें-
इंसानियत को,
मानवता को,
इन नारों के क्रियान्वयन को,
किसी को क्या मतलब,
चाहे अपने कपड़े बेचो,
या ईमान बेचो,
आज यह दुनियाँ की
सबसे सस्ती चीज है।
..................................
सटीक और प्रासंगिक.... ईमान बचाने की बातें होनी बंद हो गयी हैं.
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श्री पद्म सिंह जी,
जवाब देंहटाएंआपका आभारी हूँ कि आपने मेरे ब्लॉग को फॉलो करना उचित समझा. लेकिन मैं ब्लॉग की इस दुनिया में नौसिखिया हूँ. आप जैसे लोगों की सहायता जरूरी होगी. आशा करता हूँ पनपने में सहयोग देंगे.
सधन्यवाद,
आभारी,
एम.आर.अयंगर.