प्रेशर कुकर
आज शायद ऐसा घर ही नही होगा, जहाँ प्रेशर कुकर का प्रयोग
न होता हो।
हॉकिन्स तरह के कुकर अवयव बर्तन, ढक्कन, रबर गेस्केट और सीटी।
हॉकिन्स तरह का कुकर बंद करने पर (प्रेस्टज कंपनी द्वारा बनाया हुआ)
बंद करने के बाद प्रेस्टिज तरह का कुकर।
कुकर-धमाका होने पर हालात -
तोड़ मरोड़ कर उछलकर गिरा ढक्कन कढ़ाई के नीचे पहुँच गया है. कढ़ाई की रसोई भी बिखर गई है। कुकर का बर्तन धुल चुका है।
तुड़े - मुड़े ढक्कन की बदहाली इस तस्वीर में साफ देखी जा सकती है। यह तो नसीब की बात है कि रसोई और ढक्कन गृहिणी पर नहीं गिरे अन्यथा हादसा और भी गंभीर हो जाता।
उपयोग करते वक्त -
स्टोव पर रखने के लिए पहले कुकर में सही मात्रा में अनाज – सब्जी और पानी डालें। सही तादाद को अनुभव से या अनुभवी लोगों से ही जाना जा सकता है। कुछ प्राथमिक जानकारी कुकर के साथ दिए गए पुस्तिका में भी होती है।
कुकर सही ढंग से बंद करें और उसके बाद स्टोव जलाकर उस पर
कुकर रखें।
जब तक सीटी से भाप न निकले स्टोव को "हाई" पर रखें और भाप निकलते साथ उस पर सीटी रखकर उसे "सिम" पर कर
दें।
भाप निकलने पर ही कुकर पर सीटी रखें।
पकने वाली वस्तु के अनुसार पुस्तिका में सुझाए अनुसार सीटियाँ गिनें और उसके एक - दो मिनट बाद में ही कुकर को स्टोव पर से उतार लें । स्टोव का काम न हो तो स्टोव बंद करके कुकर को उस पर रहने भी दिया जा सकता है।
जरूरत हो तो स्टोव पर से कुकर हटाकर कुछ और पका लें।
थोड़ी देर में ठंडा होने पर (दबाव खत्म होने पर) सुरक्षित तरीके से कुकर पर से सीटी निकालें और परोसने खाने की तैयारी करें।
यदि तुरंत नहीं खाना हो तो सीटी को कुकर पर ही रहने दें जिससे
पकी हुई रसोई कुछ और समय तक गरम रहेगी।
यह तो हुई पकाने के समय की विधि। इस पर तो गृहिणियाँ मुझसे बेहतर जानकारी रखती होंगी।
अंदर से बंद होने वाले कुकर का ढ़क्कन सही तरीके से बंद
करने व खोलने की जरूरत है वरना यह बर्तन के किनारों को घिसता और खराब करता है।
गेस्केट को सही जगह सही तरीके से लगाने पर ध्यान देना जरूरी है वरना पकते समय भाप गेस्केट के पास के रास्ते से लीक (रिसने) होने लगेगी। इससे पकने में ज्यादा समय लगेगा और पानी की मात्रा भी कम पड़ सकती है जिससे रसोई जलने की संभावना रहती है।
कुकर को धोते समय खास ध्यान दें कि जहाँ गेस्केट और ढक्कन आपस में मिलते हैं वहाँ पकने वाली वस्तु चिपकी न रह जाए।
अच्छा हो कि कुकर पर ढक्कन लगाने से पहले भी आप सीटी में एक फूँक मार कर तसल्ली कर लें। मुँह लगाने की वजह से जूठन की तकलीफ हो तो फूँकने के बाद उसे फिर अच्छे साफ पानी से धो लें।
अब आती है सीटी की बारी। सीटी में वैसे तो भाप के अलावा
कुछ नहीं जाता किंतु कभी-कभी पानी की मात्रा के ज्यादा कम होने के चलते अंदर के
पकवान का पतला हिस्सा (रसा) दबाव के कारण सीटी से बाहर आता है और उसके ठोस कण
सीटी में जमने लगते हैं। यह सीटी पर दबाव बनाते हैं और दबाव के कारण सीटी के उठने में अवरोध होता है। इस कारण
कुकर में दबाव बढ़ जाता है। छोटे-मोटे अवरोध से कोई अंतर तो नहीं पड़ता क्योंकि एक
दो मिनट में दबाव बढ़ने से सीटी अवरोध के बावजूद भी उठ जाती है और भाप बाहर निकल जाता
है। यदि पकवान के कण वहाँ जमते जाएँ तो सीटी पर अवरोध बढ़ते है और वह थोड़े बहुत
दबाव के बढ़ने से भी नहीं उठ पाती। ऐसे में एक तय दबाव के बनने पर पानी के भाप के
अत्यधिक ताप के कारण सीसे का बना सेफ्टी प्लग (वाल्व) पिघतकर भाप को बहिर्गमन का रास्ता
देता है। ऐसा होने पर खराब सेफ्टी प्लग को बदलकर एक नया प्लग लगवाना पड़ता है।
इस कारण कुकर में बेइंतहा दबाव बनने लगता है। अंततः अधिक दबाव के कारण कुकर का ढक्कन अपना रूप बदलते हुए मुड़-तुड़कर जगह छोड़ देता है और ऊपर निकल जाता है। उस समय कुकर के अंदर के आत्यधिक दबाव के कारण ढक्कन रसोई घर की छत से टकराता है और साथ ही भीतर की रसोई भी पूरे कमरे की दीवालों व छत पर फैल जाती है। सामने खड़ी गृहिणी पर भी आ सकती है। ऐसी हालातों में कुकुर का नुकसान , कमरे की सफाई झेलने से ज्यादा गृहिणी की तकलीफ ज्यादा दर्दनाक हो जाता है। गर्मी और भाप की वजह से चमड़ी जलने की संभावनाएँ भी बन जाती हैं।
2. सारे भाग अलग - अलग (नट अलग तरह का है।)
3. अलग तरह का कैप
4. गंदी हालत में वेट
5. पिन
यह कोई बहुत बड़ा काम नहीं है बस ज्यादा से ज्यादा आधे घंटे का काम है। सीटी के कैप के ऊपर का नट खोलिए। यह घुमाकर खुल जाता है। फिर ऊपर से हल्की सी ठोकर देकर भीतर का पिन निकाल लीजिए जो ऊपर की तरफ चूड़ीवाला और भीतर की तरफ नुकीला होता है। ज्याद रसोई के कण जमने पर यह आराम से निकलता नहीं है। ऐसे में सीटी को कुछ देर गरम पानी में रखने से पिन सरलता से निकाली जा सकती है। यही पिन कुकर के सीटी की जान है। सीटी का सबसे भारी हिस्सा ही भार कहलाता है। इसीलिए कुछ लोग सीटी को वेट भी कहते हैं। अब सीटी के नट, कैप, पिन और वेट को अच्छे से साबुन के पानी से धो लें। उसके बाद साफ पानी से साबुन निकलने तक धोएँ। फिर साफ करें और सुखा लें। सूखने के बाद सीटी के भागों को उसी तरह फिट कर लें जैसे वह था यानी पिन की चूड़ियों को वेट के भीतर डालें और चूड़ियों पर कैप रखकर नट कस दें। नट भीतर से नुकीली होता है। कसते समय वह घूमने लगता है। इसे किसी पतली पेंसिल या लकड़ी के किसी डंडी से दबाकर पकड़कर आप नट को कस सकते हैं। इस तरह आपका वेट साफ हो जाता है।
सारांशतः आपको निम्न सावधानियाँ बरतनी है –
1.
उपयोग
में नहीं होने पर रबर की गेस्केटों को गुनगुने पानी में रखना।
2.
रबर सही
लगाना और ढक्कन ठीक से बंद करना। ढक्कन ढीला रहने से भाप रबड़ के पास से लीक करती
है और पकाने की क्रिया में बाधा उत्पन्न करती है।
3.
कुकर को धोते
समय और कुकर को स्टोव पर चढ़ाते समय, कुकर के ढक्कन पर सीटी की जगह को फूँक कर
देखना चाहिए कि वह खुला है।
4.
सीटी को
साफ करते रहना चाहिए।
बस इतनी सावधानियाँ यदि बरती गईं तो निश्चिंत रहिए कि आपका
कुकर कभी फटाका नहीं बनेंगा।
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बहुत उपयोगी लेख।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अयंगर सर, कमाल की बारीकी है आपके निरीक्षण में। कुकर का इस्तेमाल करनेवाला हर व्यक्ति, उसे अति सामान्य सा रसोई का साधन समझकर, प्रायः उसका उपयोग करते समय कोई विशेष सावधानी नहीं रखता। परंतु ये कितना जोखिमभरा हो सकता है, यह मैं स्वयं भुक्तभोगी होने के कारण जानती हूँ। इस लेख को लिखने में आपका जो समय और परिश्रम लगा है, वह सार्थक होगा, ऐसा मुझे लगता है।