जरूरी तो नहीं.
माना,
हर मुलाकात का अंजाम जुदाई तो है
तो मुलाकात किया जाए,
उसे बदनाम किया जाए
जुदाई के लिए ?
ये जरूरी तो नहीं.
दिल की हर बात सुहाती नहीं
दिलबर को कभी,
दिल को बदनाम किया जाए
ये जरूरी तो नहीं.
कभी बरसात के मौसम में भी
तसल्ली भर बारिश नहीं होती,
लगा गर्मी में
सुखा दूँ कोई पौधा
ये जरूरी तो नहीं.
जब भी कह देंगे चले जाएंगे
तेरे नजरों से परे,
तेरे दिल से भी उतर जाएं,
ये जरूरी तो नहीं.
जुदा होना है तो हो जाएँ
गम की बात नहीं,
दूध की मक्खी सा हो व्यवहार
जरूरी तो नहीं.
मंजिलें मिल न सके,
चलते हैं अपने रास्ते हम भी,
इसके लिए मन को
कड़वा ही किया जाए,
ये जरूरी तो नहीं.
खुशमिजाज अपने ही रस्तों पे
चले जाएंगे हम,
ताजी हवा,
शीतल समीर से भी,
मन न बहले,
ये जरूरी तो नहीं.
छोड़ दें दुनियां
किसी एक की खातिर
न हो मुमकिन ये मगर,
पर किसी एक की खातिर,
ये दुनियां रुके,
ये भी जरूरी तो नहीं.
.......
https://laxmirangam.blogspot.com/ इस ब्लॉग की सारी रचनाएं मेरी मौलिक रचनाएं हैं। ब्लॉग पर आपकी हर तरह की टिप्पणियाँ आमंत्रित हैं।
मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS
मेरे प्रकाशन / MY PUBLICATIONS. दाईं तरफ के चित्रों पर क्लिक करके पुस्तक ऑर्डर कर सकते हैंं।
गुरुवार, 17 मई 2018
जरूरी तो नहीं

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.