आज दिन में एक वाट्सप फ्रेंड ने यह आँखों देखी खबर भेजा.
आप सब के रसास्वादन हेतु प्रस्तुत है...
आँखों देखी
एक चिड़ा लगातार कोशिश कर रहा है
अपने बच्चे को उड़ना सिखाने की
अपने बच्चे को उड़ना सिखाने की
मैं हैरान हूँ देखकर कि किस तरह
वह कुछ कहकर जा रहा है
वह कुछ कहकर जा रहा है
अपने बच्चे से....
और आज्ञाकारी बच्चा
वहीं बैठा रहता है,
वहीं बैठा रहता है,
पिता के आने तक
चूँ भी नहीं करता
पिता चोंच में दाना लेकर लौटता है,
बच्चा बुरी तरह पंख फड़फड़ाकर
अपनी
खुशी जाहिर करता है
पिता चोंच में दाना देता है
खिलाने के बाद
जाली से चोंच रगड़कर
दिखाता है कि ऐसे करो
बच्चा अनुकरण करता है
(आपने चिड़ा लिखा,
पता है कि वह चिडिया नहीं है..?.
जमाना तो उल्टा
है.
कोई कहानी बन रही है
या कविता...)
कोई कहानी बन रही है
या कविता...)
और हाँ, वह चिड़िया नहीं है,
चिड़ा ही है
चिड़ा गहरे रंग का होता है,
गले के नीचे काला धब्बा होता है
फिर पिता बच्चे को
पंख फड़फड़ाकर उड़ना सिखाता है
पंख फड़फड़ाकर उड़ना सिखाता है
बच्चा कोशिश करता है,
गिरने को होता है
पिता की ओर लपकता है
सहारे के लिए,
लेकिन पिता
पास आकर थामता नहीं
पास आकर थामता नहीं
उलटे और दूर सरक जाता है
अब पिता बच्चे की ओर मुँह घुमाकर,
कुछ हल्की चूँ चूँ करके,
मानो कुछ समझा रहा या डाँट रहा है।
फिर वहाँ से उड़ जाता है
जरा नीचे के छज्जे पर जाकर बैठता है
अब बच्चा क्या करे ?
मजबूर होकर पंख फड़फड़ाता है
और
अपनी उड़ान भरकर पिता के पास !
खुशी के मारे चिड़ा चहचहाए जा रहा है....
काश हम इंसान भी ऐसा कर पाते !
अभी भी दोनों बालकनी में ही हैं
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