बेचारी – कुँवारी
आस तुम्हीं से थी सो मैं दिल न किसी पर वारी,
किया भरोसा तुम्हीं बड़ों पर की होगी तैयारी,
बात अगर कोई थी मन तो, मन में रही हमारी,
अल्हड़ जीवन पार किया, पर रह गई बिटियी रानी,
कितनी बार कहा था मैंने, बंद जुबाँ से मेरी,
कहाँ कहाँ कहा क्या क्या था, कितने चित्र उकेरी,
अब मैं कहाँ बताओ खोजूँ, आती
मुझे खुमारी,
या चाहो तुम मैं रह जाऊँ, बिटिया
प्यारी प्यारी.
सारी सखियाँ बहने, साथी जो थी
हमर उमारी,
सब बन गईँ हैं माताहारी, माँ, हम
रह गए कुँवारी.
एम.आर.अयंगर
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