शहंशाह
हर
शाह को,
शहंशाह
बनने की,
तमन्ना
तो होती है.
समय
को चीर होती है,
मगर
ढाढस नहीं होता,
इसी
से पीर होती है.
समय
मौसम देश पढ़-पढ़ कर,
मौका
एक तलाशा जाए, कि
तरकश
से निकलकर तीर,
लक्ष्य
को भेदे बिना,
वापस
न आए.
निशाना
साधकर, गर समझकर,
तीर, कमान से छोड़ा जाए, तो
क्या
मजाल कि लक्ष्य
धराशायी
न हो जाए.
जोश,
यह हर जवानी की अमानत है,
मदहोश,
यह किस तरह की जियारत है?
इन
हालातों में अक्ल पर नकाब चढ़ जाए,
फिर
जमाने की हालातों को, वे
न
पढ पाएं.
वक्त
के आगे हर इंसान बौना नजर आए,
वक्त
के बिन साथ कोई कुछ न कर पाए.
एम.आर.अयंगर.
बहुत खूब बताया आपने।
जवाब देंहटाएंसंदीप जी,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद.
अयंगर.