वक्रताओं से उभर कर,
माँग की सूनी डगर पर,
लटों की लहरों पे चलकर,
नयन झीलों में उतर कर,
पा सको दिल में जगह गर,
चमकोगे मेरे भाल पर..........
सिंदूर बनकर......
माँग की सूनी डगर पर,
लटों की लहरों पे चलकर,
नयन झीलों में उतर कर,
पा सको दिल में जगह गर,
चमकोगे मेरे भाल पर..........
सिंदूर बनकर......
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