मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

खामोश.....

खामोश
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है अगर ताकत कलम में,
तो चढ़ा लो त्योरियाँ,
आज फिर बजने लगी हैं,
रचनाओं से रणभेरियाँ।

आज गीतों में नया,
जोश पाया जाएगा,
चीखता फिरता था कल जो,
खामोश पाया जाएगा,
देखिए हर दिल को अब,
संतोष पाया जाएगा,
गर हो जरुरत, मौत को भी,
आगोश लाया जाएगा।

जोश सन् 47 का फिर से,
आज पाएँगे यहाँ,
लौटकर सोने की चिड़िया,
कहलाएगा अपना जहाँ।
लूटने इस स्वर्ण को कोई,
गजनी बनकर देख ले,
खाक में मिल जाएगा,
मिट जाएगा,नाम-औ-निशाँ।
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2 टिप्‍पणियां:

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