दोहरा यम
बरसों
से चरितार्थ हो रही ,
जिसकी
लाठी, उसकी भैंस,
हाथ
मेरे तलवार आ गई,
और
रह गया अब क्या शेष ?
अपने
परिजन की लाशों पर ,
मैं
भी महल बनाऊंगा,
जल
क्यों अब मैं खून पिऊंगा,
माँस
भून कर खाऊँगा.
कीचड़
में मैं सना हुआ हूँ,
पंकज
से मैं क्या कम हूँ ?
ब्रह्मा,
विष्णु, महेश समझ ना !!!
मैं
तो बस दोहरा यम हूँ.
एम.आर.अयंगर.
09907996560.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.