मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

आई डीडी द्वारा साक्षात्कार ( भाग - 1 )

जमशेदपुर (टाटानगर) के  एक वीडियो  चेनल के लिए मेरे एक साथी ब्लॉगर  श्रीमती अपर्णा (अन्वी) बाजपेयी ने समाज की विभिन्न भाषाओं में  सामंजस्य बैठाने और नागरिकों को पूरे देश में  संवाद की सरलता प्रदान करने की विचारधारा से कुछ सवाल किए और मेरे जवाब लिए। आज वह वीडियो उनके चेनल IDD इंद्रधनुषी दुनिया पर अपलोड हो गया है। इसका  लिंक आप सबके लिए नीचे प्रस्तुत है


https://youtu.be/AXAkArtQvyU



7 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद सर, आप तेलगु के होते हुए भी हिंदी में इतनी दक्षता प्राप्त की है ये बड़ी उपलब्धि है। आपकी पुस्तके मैने पढ़ी है बहुत ही सरल उपयोगी है।।

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    1. बेनामी जी,
      सादर धन्यवाद ।
      अपना सही नाम परिचय देते तो और अच्छा होता।
      बहरहाल आपकी सराहनापूर्ण टिप्पणी से बहुत खुशी मिली।
      आपने बेनाम ही सही विचार प्रेषित किए इस हेतु मैं कहे दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ।

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  2. प्रणाम सर 🙏भाषा को लेकर समाज जो विवाद चलते रहते हैं,अन्य भाषाओं को लेकर जो असहजता का भाव मन में घर करता रहता है उन सभी का खंडन बड़ी सहजता से आपने इस साक्षात्कार के माध्यम से किया है।आभार सर।

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    1. आपको साक्षात्कार , उसकी भाषा व सवाल जवाब पसंद आए यह मेरे लिए खुशी दी बात है। धन्यवाद बिटिया।

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  3. हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं पर आपकी पकड़ अद्भुत है। अवसर सबको मिलते हैं अन्य प्रदेशों में रहकर या अन्य लोगों के साथ रहकर किंतु सब लोग इस तरह अन्य भाषाओं को सीखने के अवसर का लाभ नहीं ले पाते। हमारे देश की भाषाई विविधता भी अनेकता में एकता का एक उदाहरण है। पहले अंग्रेजी का जो विरोध हमारे कुछ लोग करते थे, IT सेक्टर में उसके कारण हमारे देश के लोगों को बड़ा लाभ मिलने से अब विरोध काम हो गया है। किंतु अपनी मातृभाषा को पूर्णतः सबको सीखना चाहिए। आजकल अंग्रेजी माध्यम स्कूलों मैं पढ़ने वाले बच्चे, ठीक से हिंदी में कामकाज नहीं कर पाते यह एक चिंता का विषय है।
    आपकी इंटरव्यू में कही गई सब बातों से मैं सहमत हूं सिर्फ एक बात को छोड़कर कि दक्षिण के लोगों को उत्तर की भाषा और उत्तर के लोगों को दक्षिण की भाषा सीखनी चाहिए ।दक्षिण की कोई एक भाषा नहीं है चार चार भाषाएं हैं ऐसे उत्तर की भी कई भाषाएं सिर्फ हिंदी नहीं है । ऐसे में मेरे विचार से यह समस्या तब हल हो सकती है जब सारे लोग संस्कृत सीख ले क्योंकि संस्कृत से ना उत्तर वालों का बैर है और ना दक्षिण वालों का सभी लोग किसी ने किसी तौर पर इससे जुड़े हुए हैं यह मेरा निजी विचार है शायद बहुत से लोग सहमत ना हो
    इंटरव्यू में दी गई बहुत सी जानकारी और आपके अनुभव साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

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  4. शंकर दत्त जी,
    आपकी विस्तार पूर्ण टिप्पणी से लिए अनेकानेक धन्यवाद ।
    यह बताता है कि आपने कितनी श्रद्धा से वीडियो देखा है।
    यू ट्यूब पर यह टिप्पणी होती तो और अच्छा होता।
    अत्यंत आभार।

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