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रविवार, 21 फ़रवरी 2021

समीक्षा " अंतस के मोती"

        

सुश्री सुस्मिता देव द्वारा पुस्तक "अंतस के मोती" की समीक्षा

आज मेरी समीक्षा का विषय है – “अंतस के मोती

यह पुस्तक श्री माडभूषि रंगराज अयंगर जी व उनकी अनुजा श्रीमती उमा माडभूषि जी द्वारा लिखित है। यह पुस्तक उन्नीस कहानियों तथा गयारह लेखों का संकलन है। यह कहानियाँ जीवन के दिन - प्रतिदिन की घटनाओं तथा अनुभवों पर आधारित हैं, जिनमें पाठकों को प्रायः अपने जीवन की घटनाओं और अनुभवों की झलक मिलती है। इस पुस्तक के लेख युवा पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्धक तथा मार्गदर्शक हैं। इनमें से कुछ जैसे आरक्षण, हमारे राष्ट्रीय पर्व, प्रतीकात्मकता इत्यादि गंभीर विषयों पर पाठकों का ध्यान आकर्षित करती हैं और उन्हें गंभीरता से सोचने पर मजबूर करती हैं। इन लेखों में कहीं-कहीं पर अंग्रेजी के शब्दों का बखूबी प्रयोग किया गया है, जो पुस्तक को सरल और बोधगम्य बनाने में सहयोग देता है।

मेरे विचार में पुस्तक का शीर्षक अंतस के मोती से तात्पर्य है - अंतर्मन के सुंदर अनुभव, विचार, भावनाएँ आदि। यहाँ मोती की तुलना यादों और विचारों से की गई है। जैसे मोती श्वेत, सुंदर और निर्मल होते हैं वैसे ही पुस्तक में लिखी गई कहानियाँ और लेख - लेखक तथा लेखिका के सुंदर तथा अमूल्य स्मृतियों, अनुभवों और निर्मल विचारों को दर्शाती हैं।

 

धन्यवाद

सुस्मिता देव

28.10,.2020

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा है आदरणीया सुस्मिता देब जी ने। पुस्तक मैंने पढ़ी है और मैं उनसे सहमत हूँ।

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    उत्तर
    1. समीक्षा के लिए सुस्मिता जी का और समर्थ हेतु मीना जी का भी आभारी हूँ।

      हटाएं

Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.