मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

मेरा आठवाँ प्रकाशन  / MY Seventh PUBLICATIONS
मेरे प्रकाशन / MY PUBLICATIONS. दाईं तरफ के चित्रों पर क्लिक करके पुस्तक ऑर्डर कर सकते हैंं।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021




डॉ. ऋचा सूद की पुस्तकसंचेतनाकी समीक्षा

(समीक्षकएम आर अयंगर)

 

पुस्तक का नाम               – ‘संचेतना

लेखिका                         डॉ. ऋचा सूद.

विषय                            बच्चों की परवरिश

प्रकाशक                       बुक बजूका पब्लिकेशन, कानपुर.

अध्याय संख्या                 -            7

पृष्ठ                                –         80

मूल्य                              –         रु.199.

---------------------------------------------------------

ऋचा जी ने बच्चों के परवरिश के संबंध में यह पुस्तक लिखी है।

उनका मानना है अभिभावकों को इस संबंध में किसी भी तरह की समस्या का समाधान इस पुस्तक में उपलब्ध होगा।

ऋचा जी यह पुस्तक अपने सभी गुरुजनों को गुरु - दक्षिणा स्वरूप समर्पित कर रहीं हैं। वे बताती हैं कि लिखने की प्रेरणा माताजी के प्रोत्साहन  व  पिताजी की सराहना से मिली है।

लेखिका का मानना है कि बच्चे कच्ची मिट्टी हैं और इस समय उनको किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। घड़ा जिसे मिट्टी पकाकर बनाया जाता है, फिर से किसी और रूप में नहीं ढाला जा सकता।

लेखिका के अनुसार बचपन जीवन की नींव है और इसी नींव को सुदृढ़ करने का प्रयास है यह पुस्तक।

लेखिका कहती हैं कि इस युग का सबसे बड़ा प्रश्न है - “आने वाली पीढ़ी का भविष्य कैसे होगा और उसे सँवारें कैसे ?

पुस्तक के शुरु में ही लेखिका कहती हें कि अभिभावकों को गूगल की सहायता लेकर बच्चों के लिएदस माइलस्टोन्सकी डायरी बना लेनी चाहिए। वे कहती हैं कि परिवार का माहौल बच्चों पर बहुत असर करता है। अभिभावकों का अनुशासन, आपसी मेलजोल , खटपट और तनाव - बच्चों की मानसिकता पर असर करते है।

किलकारी व अभ्युदय अध्यायों में लेखिका इस बात पर जोर देती हैं कि बालपन में बच्चों की जिज्ञासा को उचित तरह से शांत करने की जिम्मेदारी अभिभावकों की होती है। सवालों की बाढ़ के चलते परेशान होकर बच्चों को डाँटना , फटकारना या झिड़कना नहीं चाहिए, बल्कि शांत होकर समझाना चाहिए। अधूरी जिज्ञासा उनमें    कभी - कभी उनके अनचाहे तनाव का कारण बन जाती है।

12 – 19 (टीन एज) वर्ष की आयु में बच्चे मौका परस्त होते हैं। समय के तकाजे पर, जहाँ उन्हें लाभ होता है उसी अनुसार खुद को छोटा या बड़ा कहते रहते हैं। इस उम्र में बच्चे संवेदनशील भी होते हैं। अभिभावकों को इस पर नजर रखनी चाहिए और विषय तथा स्थति के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।

लेखिका ने सुझाया है कि बच्चों से यह पूछने के बदले कि आज स्कूल में क्या किया ? यह पूछना चाहिए कि स्कूल में आज क्या सीखा ? इससे बच्चे ऊल - जलूल बातें बताने से परहेज करेंगे। इसे लेखिका ने अच्छा उदाहरण देकर समझाया है।

ऋचा जी कहती हैं कि बच्चों को  शुरू से ही समयानुसार जिम्मेदारी देना चाहिए, जिससे कि वे छोटी उम्र से ही जिम्मेदारी के प्रति सजग रहें और निभाना सीखें। लेखिकास्टिक एंड केरेटके सिद्धांत की सराहना करती हैं और कहती हैं कि कहाँ, कौन सा और कितना अपनाना है यह अभिभावक का मनोविज्ञान बताएगा।

अध्याय नींव निर्माणी  में लेखिका बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास पर जोर देती हैं। फास्ट फुड को शरीर सौष्ठव के लिए अनुपयोगी बताती हैं।

इसी अध्याय में जेब खर्च की आवश्यकता और वह कितना होना चाहिए उसकी भी चर्चा की है। बच्चों का दोस्त बनकर उनके गुण-दोषों पर नजर रखना भी अभिभावकों की जिम्मेदारी बताती हैं, साथ ही खूबियों व गलतियों के लिए पुरस्कार न दंड का प्रावधान भी, वह अभिभावकों की ही जिम्मेदारी बताती हैं।

लेखिका बच्चों में एक उम्र के बाद आत्मावलोकन की आदत डालने का भी परामर्श देती हैं।

कुल मिलाकर पुस्तक संचेतना बच्चों की परवरिश में अभिभावकों की अच्छी सहायिका बन पड़ी है। हालाँकि जगह - जगह पर लेखिका ने क्रियान्वयन के तरीकों को भी बताया है किंतु मुझकि पुस्तक ज्यादातर साईकोलॉजिकल सतह पर लिखी गई लगी। इस पुस्तक में विषय को बहुत ही सही तरीके से संभाला गया है किंतु भाषा की कमी अखरती है जो शायद प्रूफ रीडिंग में कमी से है।

पुस्तक की प्रिंटिंग सटीक है। फाँट थोड़ा बडा सा लगा क्योंकि पुस्तक बच्चों के जिन अभिभावकों के लिए है उनकी उम्र कोई 30 से 45 के बीच ही होगी और इसलिए इतने बडे फाँट की जरूरत नहीं थी। पुस्तक का आकार बिलकुल सही है और पृष्ठ भी सही हैं जससे पुस्तक कई सालों तक संभाली जा सकती है।

इस पुस्तक की रचनाकर - लेखिका डॉ. ऋचा सूद प्रकाशन कराने के लिए निश्चय ही बधाई की पात्र हैं।

समीक्षक:

 

माडभूषि रंगराज अयंगर

हैदराबाद, तेलंगाना।

मो.: 7780116592

ई-मेल laxmirangam@gmail.com

 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.