मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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गुरुवार, 27 सितंबर 2018

चाँदनी का साथ


चाँदनी का साथ


चाँद ने पूछा मुझे तुम
अब रात दिखते क्यों नहीं?
मैंने कहा अब रात भर तो
साथ है मेरे चाँदनी.

क्या पता तुमको, मैं
कितना खुशकिस्मत खड़ा
बाजुओं में चाँदनी,
मैं उसकी बाहों में पड़ा

चँदनियाँ धरती से कितनी, तुम्हें
ताकतीं हैं रात भर
संग रातें तुम गुजारो
क्या हुई तुमको कमी

चाँद भी कुछ सोचकर
फिर हकबकाकर कह पड़ा
धरती से मिलने, मेरी चाँदनी
नित रात जाती है वहाँ.

तू भी धरती पर है जन्मा
वाह रे मानव, तेरे क्या भाग हैं.
चाँदनी मेरी सदा पर,
रात भर तेरे साथ है.
.....

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