मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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सोमवार, 8 सितंबर 2014

फरियाद





फरियाद

कोरे दिल पर कलम ले, था लिखने चला,
पर कलम भी फफख कर वहीं रो पड़ी,

अब, स्याह दिल पर मैं कैसे लिखूँ,
बस, कालिख लगा है दिल पर मेरे.

श्वेत – श्यामल लिखे जो, कलम है कहाँ,
ढूँढ लाऊँ बतादो है मिलती कहाँ.

काले कागज किए थे कई आज तक,
आज करना धवल है, तो साँसें कहाँ.

जिंदगी इस कदम पर, है थम सी गई,
कल के आने की सोच, मन समाती नहीं.

बीते कल की सुनहरी हैं यादें मेरी,
जिंदगी से नहीं फरियादें मेरी.

एम आर अयंगर.
8462021340

link :  http://www.rachanakar.org/2014/09/blog-post_12.html
- रचनाकार में 7 सितंबर 2014.

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