फरियाद
कोरे दिल पर कलम ले, था लिखने चला,
पर कलम भी फफख कर वहीं रो पड़ी,
अब, स्याह दिल पर मैं कैसे लिखूँ,
बस, कालिख लगा है दिल पर मेरे.
श्वेत – श्यामल लिखे जो, कलम है कहाँ,
ढूँढ लाऊँ बतादो है मिलती कहाँ.
काले कागज किए थे कई आज तक,
आज करना धवल है, तो साँसें कहाँ.
जिंदगी इस कदम पर, है थम सी गई,
कल के आने की सोच, मन समाती नहीं.
बीते कल की सुनहरी हैं यादें मेरी,
जिंदगी से नहीं फरियादें मेरी.
एम आर अयंगर.
8462021340
link : http://www.rachanakar.org/2014/09/blog-post_12.html
- रचनाकार में 7 सितंबर 2014.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.