क्या
व्यक्तित्व है...
खुद
अपने लिए उठती या नहीं
यह पता
नहीं,
पर रात
में दो-एक बार तो
अपने बच्चो
के कमरे में झाँक आती है.
यह
देखने के लिए कि
बच्चे
चैन से, आराम से,
ढंग से
सोए हैं या नहीं,
चादर,
कंबल, रजाई ,
ठीक से ओढ़ी-उढ़ी
है या नहीं,
तसल्ली
कर जाती है.
कभी बीच
रात नींद खुलती है,
तो बाथरूम
आते जाते
किचन से
आवाज सुनाई पड़ती है,
आतुरता
वश देखता हूँ
वहां
कौन है,
पता
लगता है
इड़ली
का आटा पीसा जा रहा है,
कहता हूँ,
अभी सो जाओ सुबह कर लेना
जवाब
मिलता है
तो
तुमको तुम्हारी पसंदीदा
इड़ली
कहाँ मिल पाएगी,
दिन में
तो बाकी कामों से समय ही नहीं मिलता
इसीलिए
देर रात करनी पड़ती है.
कई बार
देखा है , महसूस किया है,
आज छोटे
को खिलाकर वह भूखी सो गई,
घर में अनाज
कम था,
पर कभी
न सुना , देखा न महसूस किया
कि वह
खा गई
इसलिए
बच्चे को भूखा सोना पड़ा.
दिन भर
की थकी ,
( शायद
भूखी भी ),
पति के
आने के समय,
सज-धज
कर देहरी पर खड़ी,
रास्ता
निहारती उस पर, जब
पति आते
ही किसी बात पर खीज उठते,
तब दिल
में कितनी तकलीफ होती थी...
कहा
नहीं जा पाता.
कभी
सुना नहीं, उसके लिए खाना कम पड़ा हो,
ऐसा
नहीं कि बच्चे भूखे रह गए,
उसके
लिए खाना बचाने के लिए ,
हाँ, वह
कभी शिकायत करती ही नहीं थी,
उनको
कभी बीमार पड़ते नहीं देखा,
क्योंकि,
वे कभी शिकायत करती ही नहीं थी,
लगी
रहती हैं सेवा में,
घर का
सारा काम उसी का तो है...
किसी ने
अपने जिम्मे नहीं लिया...
वही अकेली
करती रहती है.
काम है,
कि खत्म होने का नाम तक नहीं लेता,
रोज
सुबह फिर नया काम आ धमकता है,
पर उसने
कभी उफ तक नहीं की,
क्या
व्यक्तित्व है...
भगवान
ने शायद बडी मेहनत से बनाया है.
जिंदगी
में दो ही बार बीमार पड़ते देखा,
पहली
बार, डॉक्टर तो जवाब ही दे गए,
बोले
भगवान पर भरोसा रखो,
लेकिन
उम्र बाकी थी,
सेवा का
सहारा मिला शायद,
खड़ी हो
गई पर पूरी तरह स्स्थ तो हो ही नहीं पाई.
दूसरी
बार तो हालत ज्यादा ही खराब हो गई,
उम्र भी
तो बढ़ रही थी,
फिर
वहीं, डॉक्टर जवाब दे गए,
पर अब की
बार वह उठ नहीं पाई.
उठा ली
गई.
अब घर
और समाज
दोनों
की परिस्थितियाँ भी बदल गईं हैं,
अब न
रातों को किचन से आवाज आती है,
न ही
देहरी पर कोई खड़ा नजर आता है,
न ही
रात बे रात कोई देखने आता है
कि
बच्चे, कैसे तो छोड़ो,
सो रहे
हैं भी कि नहीं,
पर मानव
जीवित है और
वह इस
व्यक्तित्व की सृष्टि करता जा रहा है,
खास तौर
से , कड़ी मेहनत से,
पर आज
वह मेरे नसीब में नहीं
किसी और
के नसीब में हो गई है.
................................................
लक्ष्मीरंगम.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.