दास्ताँ दोस्ती की ,,,,
अजब दास्तां होती है दोस्ती की,
कि लड़ना, मिलने से भी अच्छा लगता है,
लड़कर मनानेनवाले भी होते हैं कुछ,
तो कुछ को चिढ़ाना अच्छा लगता है,
दोस्त से कुछ सुनने के लिए,
झुक जाना भी अच्छा लगता है,
सफर ट्रेन का हो या जिंदगी का,
खतम ही नहीं होती बातें, फिर भी
खामोश रहकर मुस्कुराना अच्छा लगता है,
चार दोस्तों में लगता है,
मिल गई पूरी दुनियाँ,
बाकी सब भूल जाना अच्छा लगता है.
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...
I want to go back to the time,
When getting high meant – on a swing,
When drinking meant apple juice,
When love was mum’s hug,
When dad’s shoulder was -
the highest place on the earth,
when your worst enemies-
were your siblings,
when the only thing that could hurt-
were wounded knees,
when the only things broken toys,
when GOOD BYE meant - only till next morning,
…. Koi lauta de mere beete huye din…
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