साजन के गाँव में.
आज मत रोको मुझे,
साजन के गाँव में,
सुनो मेरी छम छम,
बिन पायल के पाँव में.
आलता मँगाऊँगी मैं,
मेंहदी रचाऊँगी मैं,
सासु, ननदों को भी,
मेंहदी लगाऊँगी मैं.
झूला झूलेंगे
मिलकर सावन में
नाचत हमें मोर मिलें
कितने कानन में
मिल जुल कर मजे करें,
पीपल की छाँव में,
सुनो मेरी छम छम,
बिन पायल के पाँव में.
देवर, जेठ भी अपने होंगे,
साकार ननद के सपने होंगे.
रंग-बिरंगी कलाइयाँ होंगी,
इक दूजे की बलाइयाँ लेंगी
सबका साथ निभाऊँगी मैं
सबका प्यार कमाऊँगी मैं,
सास ससुर की होगी सेवा,
मेरी ही बस होगी मेवा.
महावर लगाऊँगी मैं,
भौजाई के पाँव में
सुनो मेरी छम छम
बिन पायल के पाँव में।
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