मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

मेरा आठवाँ प्रकाशन  / MY Seventh PUBLICATIONS
मेरे प्रकाशन / MY PUBLICATIONS. दाईं तरफ के चित्रों पर क्लिक करके पुस्तक ऑर्डर कर सकते हैंं।

शनिवार, 13 दिसंबर 2014

हिंदी की वर्तनी के परिवर्तन

हिंदी की वर्तनी के परिवर्तन

(http://www.hindikunj.com/2014/12/the-spelling-of-hindi.html)
(5.12.2014 को हिंदी कुंज में प्रकाशित)



आज की हिंदी वर्णमाला निम्नानुसार है.


चित्र -1

इन वर्णमालाओं में अ,आ,ओ,औ,अं,अः,ख,छ,ण,ध,भ अक्षरों पर गौर कीजिए, आज इन्हें उसी तरह लिखा जाता है. पुरानी हिंदी की वर्णमाला कुछ भिन्न दिखाई देती है. थोड़ा बहुत फर्क तो ल,श,त्र में भी दिखता है. दो तरह से लिखने की रीत से भ्रांति होती है और कुछ वर्णों में जैसे - म व भ तथा घ व ध में शिरोरेखा के जुड़जाने से दुविधा होती है.

कुछेक वर्ण हिंदी में प्रयोग किए जा रहे हैं किंतु अधिकारिक तौर पर उन्हें वर्णमाला में शामिल नहीं किया गया है. कुछेक सुधारों की तरफ भी ध्यान देना होगा. पंचमाक्षर अनुस्वार नियम में वर्गेतर वर्णों के लिए अनुस्वार तय नहीं किया जाना संदेह का कारण बन पड़ा है. हिमांशु को कैसे सही लिखा जाए.. हिमाम्शु या हिमान्शु. सही की पहचान कैसे हो ?  वैसे ही श+=श्र हुआ और श+=शृ हुआ. अब प्रचलन में सिंगार के रुप शृंगार को श्रृंगार लिखा जाता है. सोचिए यह कितना उचित या अनुचित है.


पहले कभी हिंदी वर्णमाला कुछ इस तरह होती थी. (संदर्भ 5)




चित्र 2


साधारणतः भारतीय भाषाओं में अक्षर के मस्तक पर लगी स्वर की मात्राओं का उच्चारण अक्षर के बाद होता है. लेकिन अनुस्वार व रेफ इसमें अपवाद है. अनुस्वार जिस अक्षर के ऊपर लगता है उसके बाद ही उच्चरित होता है. वैसे भी वह अगले अक्षर के वर्ग का पंचमाक्षर (पञ्चमाक्षर) होता है. रेफ की तरह अनुस्वार भी पहले उच्चरित करने से अगले अक्षर पर लग सकता है जिससे अपवाद नहीं रहेगा. जैसे मयन्क को मयंक न लिख कर मयकं लिखा जाए और साधारण नियमानुसार अनुस्वार का उच्चारण क के पहले आए तो यह मयंक सा ही पढ़ा जाएगा. लेकिन अब यह अपवाद बनकर रह गया है. कुछ भारतीय भाषाओं (खासकर दक्षिणी भाषाओं में अनुस्वार को अक्षर के बाद ही लिखा जाता है वहाँ मस्तक पर अनुस्वार लगाने की प्रथा नहीं है. इसी कारण रेफ व अनुस्वार के प्रयोग में विद्यार्थी (खासकर दक्षिणी) गलतियाँ कर जाते हैं.   व्यंजन अक्षरों की मात्राएं जो अक्षरों का ही अंश होती हैं , उच्चारण की श्रेणी में ही लिखे जाते हैं. जहाँ दक्षिण भारतीय भाषाओँ में व्यंजन वर्ण अक्षरों के नीचे लिखे जाते हैं और बाद मे उच्चरित होते हैं .

प्रारंभ में देवनागरी लिपि में भी शिरोरेखा नहीं थी. किंतु अक्षरों के जुड़ने से उनके मस्तक, शिरोरेखा के रूप में उभरी (संदर्भ 6). हिंदी के कुछ और पुराने वर्ण चित्र 3 व चित्र 4 में देखिए.



चित्र 3



चित्र 4

इस चित्र 4 में लृ अक्षर व मात्रा पर भी गौर फरमाएँ. बड़ी ऋ पर भी गौर फरमाएँ. जो आज हिंदी वर्णमाला में लुप्त हो चुकी हैं.   

अब कुछ विवेचना करें.

जिस तरह –
क् = क्ष
त् =  त्र
ज् += ज्ञ   -  हैं

वैसे ही
द् +   =  द्य     (विद्यालय)
+ = क्त      (नुक्ता)
प् +   =   प्र      (प्रमाण)
+   =   श्र      (श्रम)  भी हैं.
इनको भी संयुक्ताक्षर के रूप में स्वीकार कर वर्णमाला में स्थान दे देना चाहिए. हिंदी के सरलीकरण के तहत कई जगहों से हलन्त का प्रयोग हटा लिया गया है. जैसे महान् को अब महान लिखा जाने लगा है. वैसे ही विसर्ग (:) का भी हाल है. दुःख को अब दुख ही लिखा जाता है और यह मान्य भी है. वैसे ही छः को छै भी लिखा जा रहा है
अब तक प्रस्तुत भिन्नताओं को एक जगह एकत्रित करने का प्रयास किया गया है जो नीचे प्रस्तुत है.
अब तक प्रस्तुत भिन्नताओं को एक जगह एकत्रित करने का प्रयास किया गया है जो नीचे प्रस्तुत है.

चित्र- 5

उर्दू का नुक्ता अभी भी पूर्णरूपेण हिंदी में नहीं समाया है. फिर भी कुछ लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं. इन छोटे छोटे समाहितों से हमारी भाषा बहुत समृद्ध हो जाएगी. भाषाविदों से अनुरोध है कि वे इस तरफ ध्यान दें एवं विचारें.

अभी भी हिंदी में अपनाने के लिए कई बातें है. जैसे गुरुमुखी का द्वयत्व, मराठी का ळ, दक्षिण भारतीय भाषाओं में उपलब्ध ए व ऐ एवं ओ और औ के बीच के स्वर  (तेलुगु भाषा के ఐ, ఒ ఔ), ऍ का स्वर, इनमें से कुछ हैं. इन्हें अपनाने से बहुत तरह की ध्वनियों को हिंदी में भी लिखा जा सकेगा जिन्हें अभी हिंदी में लिखना उपलब्ध वर्णमाला से संभव नहीं हो पा रहा है

इंटरनेट के कुछ पोर्टलों में हिंदी अक्षरों में इन उच्चारणों को दर्शाया जा रहा है, किंतु किसी वर्णमाला में अब तक इनका समावेश नहीं है. नीचे की तालिका देखें. इसमें ए - ऐ व ओ - औ के बीच के उच्चारण के अक्षर दिखाए गए हैं, किंतु वर्णमाला में इनको दिखाया नहीं जाता.



चित्र 6


चित्र 7

इनके अलावा कम्प्यूटरों के आने से  लिप्यंतरण की सुविधा भी उपलब्ध हो गई है. अंग्रेजी वर्णमाला के प्रयोग से हिंदी लिखने की नीचे दिए गई सुविधा उपलब्ध है. (संदर्भ 2). इसके लिए आप ekalam.raftaar.in  देख सकते हैं.

लिप्यंतरण ( Transliteration)
मात्राएं
􀇔      
aa     i      ee     ii     u    uu  oo     e    ai     o     au      n      h     r
स्वर
 ई  उ  अं अः
a   aa   i   ee  ii   u   uu e  ai   o   au    n   h    r      r

व्यंजन
 ग   ङ  च   छ   ज  ट  ड  ढ
ka  kha ga gha nga  cha chha ja jha ya  ta tha da dha na
 थ  द  न  प  ब  भ  म  य  ल  श
ta  tha da dha na  pa pha ba bha ma ya  ra  la va  sha
 स  ह  ळ क्ष  त्र  ज्ञ  लृ  ॡ
sha sa  ha  xa ksha tra ga   L   LL  स्क्रीन में हलन्त (क्)बना है।

इस तालिका में देखा जा सकता है कि दक्षिण भारतीय भाषाओं के ए,ऐ व ओ, औ के उच्चारणों के बीच के अक्षर हिंदी वर्ण माला में अभी आए नहीं हैं. वैसे ही सिंधी वर्णमाला में का और कि के बीच दो वर्ण हैं जिनका स्वरूप हिंदी में अनुपलब्ध है. हिंदी के कम्प्यूटरी करण से एक खास लाभ यह हुआ है कि अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के समन्वय में परिवर्तन किए बिना वही उच्चारण सभी भारतीय भाषाओं में लिखा जा सकता है. इससे आपसी भाषाई लिपि के फर्क उजागर हुए हैं. जिनसे सुधार या उन्नति संभव है.

संदर्भ 6 में कम्प्यूटर पर दी जाने वाली हिंदी की बोर्ड उपलब्ध है

चित्र 8

इस इनस्क्रिप्ट की बोर्ड में सभी भारतीय भाषाओं को टाईप करने की सुविधा है. इसकी खासियत है कि यह फोनेटिक है और आवाज के आधार पर टाईप किया जाता है. इससे दक्षिण भारतीय भाषाओं को भी टाईप किया जा सकता है.

इंटरनेट के कुछ पोर्टलों से हिंदी के पुराने व नए लिपियों की छाप लेने की कोशिश की गई है. मुख्यतः निम्न पोर्टलों से सामग्री का प्रयोग किया गया है. अतः मैं इनके लेखकों के प्रति अपना सहृदय आभार प्रकट करता हूँ.

एम रंगराज अयंगर.
08462021340

 आभार –

1.  मुक्त शिक्षाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय ( प्र पत्र 15 ) पृष्ठ 9 – वर्तनी और लिपि की मीनकीकरण डॉ. मीनाक्षी व्यास.
2. सर्च एंजिन रफ्तार http://www.raftaar.in/help.htm से ट्रान्सलिटेरेशन कैसे करें.
3.  Latest Hindi Alphabet from,.
4. लेखमिक विश्लेषण क्रमाँक 1 व 2, पृष्ठ 240,हिंदी भाषा की संरचना – द्वारा श्री भोलानाथ तिवारी.
5. http://www.omniglot.com/writing/devanagari.htm for old form of  Hindi letters
---------------------------------------------------------------------------------------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your comment. I will soon read and respond. Kindly bear with me.