मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

भारतीय स्वातंत्र्य

भारतीय स्वातंत्र्य

भारत गणतंत्र हमारा,
ऐसा जनतंत्र हमारा
जनता पर तंत्र हमारा,
यह है स्वातंत्र्य हमारा.

करते हैं शांति की बातें,
वैसे हम भ्रांति फैलाते,
चादर कितनी भी अपनी,
पूरे हम पाँव फैलाते.

करते हैं जो करना है,
कहते हैं जो कहना है,
कथनी करनी में कोई,
समता हो तो बतलाएं.

भारत के भाग्य विधाता,
ऐसी है न्याय की गाथा,
जिसको जो भी मिल जाता,
वह उसको खा पी जाता.

इसका कोई दंड बनाओ,
या फिर की फंड बनाओ,
जितनी खाने की चीजें,
मिलजुल कर बाँट के खाओ.
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लक्ष्मीरंगम.

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