tag:blogger.com,1999:blog-5667300712520274475.post2197651269882986498..comments2024-03-18T21:00:16.646+05:30Comments on लक्ष्मीरंगम - Laxmirangam: बापू - फिर मत आनाMadabhushi Rangraj Iyengarhttp://www.blogger.com/profile/13810087916830518489noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5667300712520274475.post-77021313509298246512019-02-26T05:45:40.307+05:302019-02-26T05:45:40.307+05:30सुप्रभात रेणु जी,
गूगल प्लस के जाने से 75%से ज्या...सुप्रभात रेणु जी, <br />गूगल प्लस के जाने से 75%से ज्यादा टिप्पणियाँ हट गई हैं, दुख तो बहुत हुआ पर कोई रास्ता नहीं है.<br />गूगल+ इस तरह इतने कम अंतराल में ही हट जाएगा, किसी ने सोचा भी नहीं होगा. इसलिए किसी ने भी गूगल+ पर की टिप्पणियाँ नहीं सँजोई होंगी. एक मात्र आपने न जाने कैसे बचा रखा है.<br />पता नहीं उन टिप्पणियों को पुनर्जीवित करने हेतु आपका आभार कैसे व्््ययक्त करूँ.<br />सादर,<br />अयंगरMadabhushi Rangraj Iyengarhttps://www.blogger.com/profile/13810087916830518489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5667300712520274475.post-50666963188793476542019-02-25T22:51:03.311+05:302019-02-25T22:51:03.311+05:30आदरणीय आयंगर जी , आपकी रचना पर ये टिप्पणी मैंने बह...आदरणीय आयंगर जी , आपकी रचना पर ये टिप्पणी मैंने बहुत समय पहले की थी जो मेरे गूगल प्लस पर सुरक्षित थी | जिन सहयोगियों के ब्लॉग गूगल प्लस से जुड़े थे सभी की टिप्पणियाँ गायब देखकर बहुत दुःख हुआ | पर क्या कर सकते हैं | मैंने अपने अकाउंट में सुरक्षित कुछ टिप्पणियों को दुबारा उन्ही रचनाओं पर पहुंचा दिया है | सादर प्रणाम |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5667300712520274475.post-81614066745582125112019-02-24T05:09:15.923+05:302019-02-24T05:09:15.923+05:30धन्यवाद रेणु जी,
बहुत समय बाद आप ब्लॉग पर दिखीं. अ...धन्यवाद रेणु जी,<br />बहुत समय बाद आप ब्लॉग पर दिखीं. अच्छा लगा.आपकी राय देते रहिए.<br />सादर विनीत.<br />अयंगरMadabhushi Rangraj Iyengarhttps://www.blogger.com/profile/13810087916830518489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5667300712520274475.post-38077663656670558892019-02-24T00:23:32.860+05:302019-02-24T00:23:32.860+05:30आदरणीय अयंगर जी --- गहरे चिंतन से उपजा गाँधी ...आदरणीय अयंगर जी --- गहरे चिंतन से उपजा गाँधी को मार्मिक उद्बोधन और आज के संदर्भ में गांधीवाद औरगाँधी की विलुप्त हो रही प्रासंगिकता पर बड़ी ही सार्थक रचना है | सचमुच ऐसा ही हो रहा है आज | सचमुच आज अगर बापू इतिहास के पन्नो से निकल दुनिया के सामने आ जाएँ तो उनसे यही व्यवहार होगा और अपने आदर्शों के प्रतिकूल इस देश को पाकर वे बहुत व्यथित होंगे |<br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com