रविवार, 15 अक्तूबर 2017

धड़कन




धड़कन

संग है तुम्हारा आजन्म,
या कहें संग है हमारा आजन्म.

छोड़ दे संग परछाईं जहाँ,
उस घनेरी रात में भी,
गर तुम नहीं हो साथ, 
तो जिंदगी का खेल 
समाप्त  !!!!!

क्यों लगी हो होड़ करने,
समय से तुम अकेली ?

और भी तुझको मिलेंगे,
चाँद तारे और धरती,
और संग संग इस धरा के,
चल रहा हूँ मैं भी लेकिन,
तुम मुझमें भी बसी हो.

.....