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शनिवार, 4 मार्च 2017
एहसान
एहसान
मेरे दोस्त,
तेरे बहुत एहसान हैं मुझ पर,
बस एक और एहसान करना,
कल सुबह मेरे घर आकर
मेरी लाश ले जाना,
बस एक रात और
अकेला छोड़ दो,
शाँति से मरने को भी
एकांत चाहिए ना.
कर देना फोन
उन देहदान वालों को ,
और उस अंगदान के मोहन को,
और बस फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व,
जो पहले आएगा ले जाएगा.
यदि मोहन पहले आ जाए तो,
बची देह में जठराग्नि लगा देना,
कर देना खाक ए सुपुर्द,
और राख वह उड़ जाएगी हवा में,
चिंता मत करना.
यदि मिट्टीमें ही मिल गई
तो धन्य समझूँगा
थोड़ी और उर्वरक हो जाएगी
जो भी आस पास श्वास लेंगे
उन्हें कुछ समय के लिए ही सही
मेरी महक आएगी...
फिर सब सामान्य हो जाएगा.
हमेशा की तरह.
बस यह एहसान कर देना
एक और मेरे दोस्त.
खुदा हाफिज.
***