बुधवार, 8 जुलाई 2015

क्या क्या करके..


क्या क्या करके...

कभी इस करके ,
कभी उस करके,
कभी किस करके,
कभी विश करके,
     
        तेरी नजर में रहता हूँ.

कभी घिस करके,
कभी पिस करके,
कभी रिस करके,
कभी मिस करके,
    
        तेरी बाट जोहता रहता हूँ.

कभी हँस करके,
कभी फँस करके,
कभ कुछ करके ,
कभी कुछ करके,
   
        मैं खुद को तसल्ली देता हूँ.

..........................................
 अयंगर.