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शुक्रवार, 25 मार्च 2011
हास्य व्यंग ब्लोगर्स महासभा: छींटाकशी...
हास्य व्यंग ब्लोगर्स महासभा: छींटाकशी...: "साल भर हम सो रहे थे,एक दिन के वास्ते,जागते ही ली जम्हाई,और फिर हम सो गए.......................................... हम कर सकें बेहतर जिसे,अंग..."
मृत्युदंड
मृत्युदंड
जहाँ पूजनीय है नारी,
वहीं देवता बसते हैं,
किंतु राम से देव..
दैव हा!!
अग्नि परीक्षा लेकर भी,
सीताजी को तजते हैं.
कहाँ दोष सीता का कहिए,
उसका हुआ हरण जो था?
रावण को भड़काने वाला,
भगिनी कटा कर्ण तो था.
यदि रावण अपने पक्ष में प्रस्तुत करता,
सीताजी के अग्नि परीक्षा की रिपोर्ट,
तो क्या मृत्यु दंड दे सकता था उसे...
यह सुप्रीम कोर्ट ???
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मंगलवार, 22 मार्च 2011
सिंदूर मेरे...
वक्रताओं से उभर कर,
माँग की सूनी डगर पर,
लटों की लहरों पे चलकर,
नयन झीलों में उतर कर,
पा सको दिल में जगह गर,
चमकोगे मेरे भाल पर..........
सिंदूर बनकर......
माँग की सूनी डगर पर,
लटों की लहरों पे चलकर,
नयन झीलों में उतर कर,
पा सको दिल में जगह गर,
चमकोगे मेरे भाल पर..........
सिंदूर बनकर......