मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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सोमवार, 28 नवंबर 2016

इंतजार




इंतजार


किसी ने कहा है
इंतजार का फल मीठा होता है
कोई उनसे ही पूछे कि
इंतजार कितना तीखा होता है।

अपनापन जताते रहो
अपने मत बनो
अपना बनाने की 
कोशिश तो होगी।

मंजिल की ओर बढ़ते हुए
सफर में रुकने पर भी
मंजिल जल्द कैसे पहुंचे
यही सवाल होता है
और मंजिल पहुँचने पर
अब तो मंजिल आ ही गए
किस बात की पहल

आपसी अंतर न रहे तो
पाने की लालसा क्यों होगी
प्रेमिका पत्नी बन जाए तो
खुश करने की मंशा क्यों होगी.

जिंदगी मजे में जीने के लिए
यह दूरी मजबूरी है
दूरियां मुश्किल तो हैं
पर होती बहुत जरूरी है.
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